Chanakya Niti on Tax Collection: 1 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। यह बजट हर नागरिक के जीवन को प्रभावित करता है, क्योंकि यह तय करता है कि सरकार किन योजनाओं में निवेश करेगी, कर प्रणाली कैसी होगी, और आम जनता को कितनी राहत मिलेगी। लेकिन क्या बजट तैयार करते समय कोई ऐतिहासिक मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है? इस संदर्भ में आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी बेहद प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में बताया है कि सरकार को कर संग्रह और बजट प्रबंधन कैसे करना चाहिए ताकि देश की आर्थिक व्यवस्था संतुलित रहे।
चाणक्य नीति: बजट प्रबंधन के तीन स्तंभ- Chanakya Niti on Tax Collection
आचार्य चाणक्य ने बजट निर्माण और कर प्रणाली के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ बताए हैं:
- जो प्राप्त न हो, उसे प्राप्त करना
- जो प्राप्त है, उसे संरक्षित करना
- जो संरक्षित है, उसे समानता के आधार पर बांटना
जो प्राप्त न हो, उसे प्राप्त करना
चाणक्य कहते हैं कि राजा (आज के संदर्भ में सरकार) को इस बात पर विचार करना चाहिए कि खजाने में कैसे वृद्धि हो, लेकिन इस प्रक्रिया में आम जनता पर अतिरिक्त बोझ न डाला जाए। इसका अर्थ है कि सरकार को नए संसाधनों की तलाश करनी चाहिए, कर चोरी को रोकना चाहिए और अर्थव्यवस्था को इस तरह बढ़ाना चाहिए कि राजस्व बढ़े बिना किसी वर्ग पर अत्यधिक भार डाले।
“The government should work on a win-win situation for taxation. Just like the honeybee, the government should also create opportunities for the people it taxes.”
– Dr. Radhakrishnan Pillai #Chanakya #ChanakyaNeeti #Tax #Leader #Leadership #Government #KathaChanakya #India2025 pic.twitter.com/Pm5sBNEvIt— Dr. Radhakrishnan Pillai 🇮🇳 (@rchanakyapillai) July 31, 2021
जो प्राप्त है, उसे बचाकर रखना
सरकार को अपने पास उपलब्ध संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करना चाहिए। चाणक्य के अनुसार, अगर खजाना भरा रहेगा तो सरकार मजबूती से विकास के बारे में सोच सकेगी। आज के संदर्भ में इसका मतलब है कि सरकार को खर्चों में अनावश्यक कटौती करनी चाहिए, भ्रष्टाचार को रोकना चाहिए और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए ताकि बजट घाटा न बढ़े।
जो संरक्षित है, उसे समानता के आधार पर बांटना
चाणक्य की यह नीति एक कल्याणकारी सरकार की पहचान कराती है। सरकार को अपने राजस्व का उपयोग गरीबों के उत्थान, शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिकों की बुनियादी सुविधाओं पर समान रूप से करना चाहिए। यह नीति आज के सामाजिक न्याय सिद्धांतों से मेल खाती है, जहां कर राजस्व का उपयोग गरीबी उन्मूलन और सामाजिक कल्याण योजनाओं में किया जाता है।
कैसा होना चाहिए टैक्स का तरीका?
चाणक्य ने कर संग्रहण की नीति को बड़ी सहजता से समझाया है। वे कहते हैं कि “सरकार को अपने नागरिकों से इस तरह कर लेना चाहिए, जैसे मधुमक्खी फूलों से शहद लेती है।”
इसका अर्थ यह है कि सरकार को कर व्यवस्था इतनी सुव्यवस्थित और सहज बनानी चाहिए कि करदाता पर अनावश्यक बोझ न पड़े और वह खुशी-खुशी कर चुकाए।
आज के दौर में यह नीति प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के सही संतुलन की ओर इशारा करती है। सरकार को टैक्स की दरें इतनी जटिल नहीं रखनी चाहिए कि लोग कर चोरी करने पर मजबूर हो जाएं। इसके बजाय, कर प्रणाली को पारदर्शी, सरल और सुविधाजनक बनाना चाहिए ताकि नागरिक स्वेच्छा से कर अदा करें और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हो।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
और पढ़ें: Budget 2025: संसद का बजट सत्र शुरू, आम बजट और वक्फ संशोधन बिल पर टिकी निगाहें