देश में कोरोना का कहर इस वक्त सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक है। बीते कई दिनों से एक लाख से भी ज्यादा नए मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। कोरोना के इस महासंकट के बीच देश में वैक्सीन को लेकर भी महासंग्राम छिड़ा हुआ है। वैक्सीन को लेकर कुछ राज्यों की सरकारों और केंद्र के बीच तकरार होती हुई नजर आ रही हैं। महाराष्ट्र समेत कई सरकारों ने वैक्सीन की कमी का मुद्दा उठाया, जिसको लेकर केंद्र की तरफ से भी जवाब दिया गया। केंद्र ने अपनी चिट्ठी के जरिए महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली की सरकारों पर निशाना साधते हुए यहां वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार पर सवाल खड़े किए।
‘नाकामी छुपाने की कोशिश’
राज्य सरकारों के आरोपों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भड़के हुए इसे बेबुनियाद और गैर जिम्मेदाराना बताया। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कुछ राज्य अपनी जिम्मेदारियों में नाकाम होने की वजह से केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं, जिससे जनता को गुमराह किया जा सके। ऐसे में देश को तथ्यों के बारे में जानना चाहिए और वैक्सीन की उपलब्धता से संबंधित डेटा के बारे में अवगत होना चाहिए।
महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब के आंकड़े किए पेश
आगे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र में अब तक 86 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों का ही टीकाकरण हुआ। वहीं दिल्ली में 72 प्रतिशत और पंजाब में 64 फीसदी हेल्थवर्कर्स को वैक्सीन लगी। जबकि कई राज्यों की स्थिति काफी बेहतर है। 10 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से ज्यादा टीकाकरण हुआ। आगे बताया गया कि महाराष्ट्र ने वैक्सीन की दूसरी डोज सिर्फ 41 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों को ही लगी। दिल्ली में 41 प्रतिशत और पंजाब में 27 फीसदी दूसरी डोज मिलीं। वहीं 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ये आंकड़ा 60 प्रतिशत से ज्यादा रहा।
चिट्ठी में आगे बताया गया कि महाराष्ट्र में 73 फीसदी फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। दिल्ली में 71 और पंजाब में 65 प्रतिशत लोगों को पहली डोज दी गई। 5 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ये आकंड़ा 85 फीसदी से भी ज्यादा रहा। इसके अलावा फ्रंटलाइन वर्कर्स के दूसरी डोज महाराष्ट्र में 41 प्रतिशत, दिल्ली में 22 और पंजाब में 20 फीसदी दी गई। 6 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 45 प्रतिशत से अधिक फ्रंटलाइन वर्कर्स को दूसरी डोज मिलीं।
बात अगर वरिष्ठ नागरिकों की करें तो महाराष्ट्र में केवल 25 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन दी गई। वहीं दिल्ली में 30 फीसदी और पंजाब में ये आंकड़ा 13 प्रतिशत रहा। 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 50 प्रतिशत से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों को वैक्सीन मिलीं।
वैक्सीन की उम्र सीमा को लेकर भी दिया ये जवाब
इसके अलावा वैक्सीन की उम्र सीमा को लेकर छिड़े विवाद पर भी डॉ. हर्षवर्धन ने जवाब दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक वजहों से वैक्सीन को 18 साल से ज्यादा लोगों को वैक्सीन देने की मांग कर रहे है। केंद्र वैक्सीन की उपलब्धता और डिमांड सप्लाई चेन डेटा राज्य की सरकारों के साथ शेयर कर रही है। वैक्सीन किसको दी जानी चाहिए, ये फैसला केंद्र ने राज्य सरकारों से बातचीत कर साझा बैठक में तय किया। उस फॉर्मूले पर ही हम काम कर रहे हैं।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सब जानते है कि वैक्सीनेशन का मकसद मृत्युदर को कम करना है। इसलिए उन लोगों को वैक्सीन पहले दी जा रही है, जिनके कोरोना से प्रभावित होने की सबसे ज्यादा आशंका है। पहले कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीन देने का फैसला लिया गया, क्योंकि वो मरीजों के संपर्क में आते है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से उम्र सीमा तय की जा रही है। हमें ये जानना होगा कि अभी वैक्सीन की आपूर्ति सीमित मात्रा में ही है, इसलिए प्राथमिकता तय करना होगी क्योंकि महामारी रोकने के लिए ये ही एकमात्र विकल्प है।
गौरतलब है कि बीते दिन महाराष्ट्र सरकार की तरफ से ये कहा गया था कि उनके पास अब वैक्सीन की कमी हो रही है और केवल तीन ही दिन का स्टॉक बचा है। वहीं दूसरी भी राज्यों की सरकारों ने वैक्सीन की कमी के मुद्दे को उठाया। इसके अलावा राजस्थान, दिल्ली समेत कई राज्यों की सरकारें लगातार वैक्सीन की उम्र सीमा को कम करने की मांग केंद्र के सामने उठा रही है। जिसको लेकर ही स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से ये चिट्ठी लिखी गई और जवाब दिया गया।