बीते दिनों नागालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों के मारे जाने के बाद तनाव बढ़ गया था। इसके बाद से ही मांग उठने लगे कि राज्य से विवादित सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) कानून को हटाया जाए। नागालैंड के सीएम की तरफ से भी ऐसी ही मांग की गई थीं। अब ऐसा लग रहा है कि केंद्र ने इस दिशा में कदम भी उठाने शुरू कर दिए। दरअसल, केंद्र ने नागालैंड से AFSPA हटाने को लेकर एक समिति का गठन किया है। ये समिति 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद इसको लेकर ही फैसला किया जाएगा।
समिति का नेतृत्व भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी करेंगे। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल इसके सदस्य सचिव होंगे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि समिति के दूसरे सदस्यों में नागालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी शामिल रहेंगे।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक की थी। 23 दिसंबर को दिल्ली में ये बैठक हुई थी। इसके तीन दिनों बाद समिति का गठन किया गया। बैठक में नागालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पैटन और नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग भी शामिल रहे थे।
विवादित AFSPA कानून हटाने पर समिति नागालैंड से विवादित AFSPA कानून हटाने पर गौर करेगी और फिर 45 दिन में रिपोर्ट पेश करेगी। समिति की सिफारिशों के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
अधिकारियों ने मुताबिक दिसंबर की शुरुआत में नागालैंड के मोन जिले में हुई घटना में सीधे तौर पर शामिल सैन्य इकाई और सैन्य कर्मियों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के जरिए तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू होगी।
बता दें कि नागालैंड के मोन में बीते दिनों सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 लोग घायल हुई। इस घटना के बाद से ही नागालैंड से AFSPA को वापस लेने के लिए कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।