पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में जातीय जनगणना का मुद्दा छाया हुआ है। बिहार की सत्ताधारी NDA गठबंधन का हिस्सा JDU जातीय जनगणना के समर्थन में हैं। सीएम नीतीश कुमार इस मांग को लेकर डटे हुए हैं। वहीं इसमें JDU को विरोधी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है। RJD समेत बिहार की दूसरी विपक्षी पार्टियां जातीय जनगणना के पक्ष में नजर आ रही हैं।
जातीय जनगणना के मुद्दे पर सियासत तेज
लेकिन इस बीच पेंच केंद्र सरकार की तरफ से अटक रहा है। दरअसल, केंद्र ने बिहार के सीएम की इस मांग को ठुकरा दिया है। उन्होंने साफ तौर पर जातीय जनगणना कराने से इनकार कर दिया। जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पहला तो ये कि ये मुद्दा बिहार में बीजेपी और JDU के बीच तकरार बढ़ने की वजह बन सकता है। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि बिहार में नीतीश कुमार अपने बूते पर जातीय जनगणना करा सकते हैं।
केंद्र की ना, नीतीश नाराज
जातिगत जनगणना पर बिहार की राजनीतिक पार्टियां पीछे नहीं हट रहीं। वहीं इस दौरान केंद्र के रवैये से नीतीश खुश नहीं। उन्होंने दोबारा केंद्र से अपने फैसले पर विचार करने को कहा। वहीं जनगणना को लेकर नीतीश के बयान से ये साफ संकेत मिल रहे हैं कि बिहार में अपने बूते कर्नाटक की तरह वो भी जाति आधारित जनगणना करा सकती है।
वहीं JDU के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में जो फैसला होगा हम लोग उसके साथ हैं। लेकिन ये तय है कि जातीय जनगणना होगी ये सभी के लिए है। सभी के लिए जातीय जनगणना जरूरी है।
बीजेपी से अलग होने का बहाना ढूंढ रहे नीतीश?
इस बीच LJP की तरफ से इस पूरे मुद्दे पर एक बड़ा बयान दिया गया। LJP का कहना है कि जातीय जनगणना के मुद्दे को बहाना बनाकर JDU बीजेपी से अलग होना चाह रही है। LJP प्रदेश प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी कृष्ण सिंह कल्लू ने कहा कि नीतीश बीजेपी से अलग होने का बहाना ढूंढ रहे हैं। इनको चिराग पासवान ने पहले ही पहचान लिया। बिहार की जनता भी उन्हें अच्छे से जान जाए, इसके लिए ही वो लड़ाई लड़ रहे हैं।
वहीं बीते दिनों पत्रकारों ने नीतीश कुमार से इसको लेकर सवाल भी पूछा था कि क्या वो इस मुद्दे को लेकर बीजेपी के साथ अपने संबंध तोड़ देंगे। तब नीतीश ने कहा था कि अभी हम आपस में (JDU के अंदर) इस पर बात करेंगे। फिर सभी दलों के लोगों से बात करेंगे और फिर फैसला लेंगे आगे क्या करना है। इस दौरान उन्होंने बीजेपी से रिश्ता तोड़ने पर साफ तौर पर इनकार नहीं किया।
जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार को उनके विपक्षियों का साथ मिल रहा है। लेकिन उनकी साथी यानी बीजेपी ही इसके पक्ष में नहीं। ऐसे में ये मुद्दा बिहार की राजनीति में आगे जाकर क्या मोड़ लेता है, ये देखना दिलचस्प होगा।