उत्तर प्रदेश पुलिस ने 4 जुलाई को शामली जिले में हुई एक कथित मॉब लिंचिंग की घटना को लेकर अब नया मोड़ ले लिया है। इससे सोशल मीडिया पर नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, शामली मॉब लिंचिंग के सिलसिले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर “दुर्भावनापूर्ण” पोस्ट के जरिए धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में दिल्ली के दो मुस्लिम पत्रकारों समेत पांच लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। जिसकी काफी आलोचना हो रही है।
और पढ़ें: हाथरस, बाढ़ और मणिपुर को छोड़ मोदी जी की विदेश यात्रा कितनी जरूरी?
पोस्ट में क्या लिखा था?
पांच व्यक्तियों द्वारा शेयर की गई पोस्ट में दावा किया गया है कि फ़िरोज़ कुरैशी की हत्या “दूसरे समुदाय के लोगों” ने उसके घर में घुसने के संदेह में की थी। थाना भवन पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर मनेंद्र कुमार की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में पत्रकारों की पहचान जाकिर अली त्यागी और वसीम अकरम त्यागी के रूप में की गई है, जबकि अन्य तीन की पहचान आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान के रूप में की गई है।
पत्रकार जाकिर अली ने बताई सच्चाई
पत्रकार जाकिर अली ने बताया कि, “शामली पुलिस ने ‘लिंचिंग केस’ की रिपोर्टिंग के लिए मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी मेरी रिपोर्टिंग की वजह से मुझ पर पांच बार हमला हो चुका है। न केवल मैं बल्कि अन्य पत्रकार भी (उनकी पोस्ट पर पुलिस कार्रवाई से) हैरान हैं।”
शामली हत्याकांड में पत्रकारों पर हुई FIR पर मेरी बात
लिंक: https://t.co/L4ndJ91VoI pic.twitter.com/IELVm0spCJ— Ashok Kumar Pandey अशोक اشوک (@Ashok_Kashmir) July 9, 2024
पत्रकार ने कहा, “दो दिन पहले शामली के जलालाबाद में फिरोज कुरैशी नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसके बाद उसके परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया था। उन्होंने पंकज, पिंकी और राजेंद्र और उनके कई साथियों पर मॉब लिंचिंग का आरोप लगाया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है, लेकिन फिरोज के परिजनों के बयानों के आधार पर मेरी रिपोर्ट की वजह से मुझे निशाना बनाया जा रहा है। मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने सच लिखा… मैं इस घटना को हार्ट अटैक या आकस्मिक मौत कहकर महत्वहीन नहीं कर सकता था।”
उन्होंने आगे कहा कि वह एफआईआर को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।
पुलिस ने क्या कहा?
इस घटना को लेकर शामली पुलिस का कहना है कि यह मॉब लिंचिंग का मामला नहीं है। पुलिस ने एक बयान में कहा, “4 जुलाई की रात को फिरोज नशे की हालत में आरोपी राजेंद्र के घर में घुस गया। दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई। बाद में फिरोज के परिवार वाले उसे घर ले गए, जहां उसकी मौत हो गई। फिरोज के शरीर पर कोई गंभीर चोट के निशान नहीं थे। (फिरोज के) परिवार वालों की शिकायत के आधार पर संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है और शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।”
पुलिस ने बयान में आगे कहा, “पहले भी कहा गया था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मौत का कारण मारपीट नहीं है। मृतक नशे की हालत में आरोपी के घर में घुसा था। इसके बावजूद इस घटना को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग दिया गया और नफरत फैलाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर मॉब लिंचिंग के रूप में पोस्ट किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दर्ज एफआईआर में कार्रवाई की जाएगी। दुर्भावनापूर्ण पोस्ट के खिलाफ भी उचित एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप तर्कहीन हैं, इसलिए इनका खंडन किया जाता है।”
पत्रकारों के सपोर्ट में उतरे असदुद्दीन ओवैसी
उधर, AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नए आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल सच बोलने वालों की आवाज दबाने के लिए किया जा रहा है। ओवैसी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “यही वजह है कि मैंने लोकसभा में नए आपराधिक कानूनों का विरोध किया। इनका उद्देश्य सच बोलने वालों के खिलाफ ‘दुरुपयोग’ करना है।”
This is why I had opposed the new criminal laws in Lok Sabha. They are meant to be “misused” against those who speak the truth. https://t.co/HRJE5B6Noo
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 7, 2024
मीडिया संगठनों ने भी किया एफआईआर का विरोध
इसके अलावा, सोमवार को 90 डिजिटल मीडिया संस्थानों और स्वतंत्र पत्रकार संगठन डिजीपब ने मांग की कि उत्तर प्रदेश पुलिस मामले में नामजद पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को तुरंत रद्द करे।
Uttar Pradesh police must rescind the FIR against five people including 2 journalists who posted about the death of a Muslim man in Shamli. pic.twitter.com/JpAXoPhEd3
— DIGIPUB News India Foundation (@DigipubIndia) July 8, 2024
वहीं, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और भारतीय महिला प्रेस कोर ने संयुक्त बयान जारी कर पत्रकारों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की और कहा कि पत्रकारिता का मतलब सार्वजनिक जानकारी को जनता तक पहुंचाना है। ऐसे में पत्रकारों के खिलाफ बीएनएस का इस्तेमाल संविधान के अनुच्छेद 19 (ए) का स्पष्ट उल्लंघन है।
Press Club of India and Indian Women’s Press Corps are extremely perturbed to learn that the @Uppolice have registered FIR against journalists Zakir Ali Tyagi and Wasim Akram Tyagi for reporting the alleged lynching on social media. pic.twitter.com/1Y89dzVeAW
— Press Club of India (@PCITweets) July 8, 2024