पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता हाई कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने सीएम ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। मुख्यमंत्री पर ये जुर्माना कोर्ट की छवि खराब करने की कोशिश करने की वजह से लगाया। कोर्ट द्वारा लगाए गए इस जुर्माने की राशि का इस्तेमाल कोरोना से प्रभावित वकीलों के परिवार के लिए होगा।
अधिकारी की जीत को दी थी चुनौती
दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा में नंदीग्राम सीट से बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के मामले को लेकर ही ममता बनर्जी कोर्ट तक पहुंच गई। उन्होंने शुभेंदु अधिकारी की जीत पर कोर्ट में चुनौती दी।
जज पर लगाए थे पक्षपात के आरोप
मामले की सुनवाई कर रहे जज पर ममता बनर्जी ने पक्षपात के आरोप लगाए। सीएम ने कहा कि जस्टिज कौशिक चंदा के संबंध बीजेपी से हैं। उनको कई बार बीजेपी नेताओं के साथ देखा भी गया है। जिसकी वजह से उन्होंने मामले को जस्टिस चंदा की पीठ से इसे ट्रांसफर करने की मांग की थी।
अब ममता बनर्जी के लगाए गए इन आरोपों को निराधार बताते हुए उन पर ये जुर्माना लगाया गया। कोर्ट ने कहा कि ममता बनर्जी के बयान ने अदालत को बदनाम किया। साथ ही जस्टिज कौशिक चंदा ने नंदीग्राम केस की सुनवाई से खुद को अलग भी कर लिया।
है क्या ये पूरा मामला?
दरअसल, 2 मई को बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे। इन चुनावों में भले ही एक बार फिर से TMC जीतने में कामयाब हुई, लेकिन नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी को हार का सामना करना पड़ा। कभी TMC के कद्दावर नेता रहे शुभेंदु अधिकारी इन चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे। इन चुनावों में उन्हें चुनौती देने के लिए अपनी पारंपरिक सीट छोड़ दी और नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया।
वहीं चुनाव नतीजे आने के बाद ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा। 1956 वोटों से वो इस सीट पर हार गईं और शुभेंदु अधिकारी की जीत हुईं। नतीजे आने के बाद ममता बनर्जी फिर से काउंटिग की मांग की, लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
जिसके बाद बनर्जी ने कलकत्ता हाई कोर्ट का रूख कर लिया और शुभेंदु अधिकारी पर धर्म के नाम पर वोट मांगने, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए। साथ ही चुनाव रद्द करने की भी मांग की।