Brahmaputra Dam China: भारत और चीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। इसका कारण है चीन का यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने की घोषणा। तिब्बत में बनने जा रहा यह बांध भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारत ने इसे लेकर चिंता जताई है, तो चीन ने सफाई देते हुए कहा है कि इससे किसी को कोई खतरा नहीं होगा।
भारत को क्यों है चिंता? (Brahmaputra Dam China)
यारलुंग त्सांगपो नदी, जो तिब्बत से होकर गुजरती है, भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। यह नदी अरुणाचल प्रदेश और असम के रास्ते बांग्लादेश में प्रवेश करती है। चीन इस नदी के निचले हिस्से में अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास एक विशाल बांध बना रहा है।
China has always been responsible for the development of cross-border rivers. China’s hydropower development in the lower reaches of the Yarlung Zangbo River aims to speed up developing clean energy, and respond to climate change and extreme hydrological disasters. The hydropower… pic.twitter.com/46sp86Jw8m
— Yu Jing (@ChinaSpox_India) January 4, 2025
इस बांध में बड़ी मात्रा में पानी स्टोर किया जा सकता है। भारत को आशंका है कि चीन पानी के बहाव को नियंत्रित कर सकता है। कम पानी छोड़े जाने पर सूखा और अधिक पानी छोड़े जाने पर बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।
भारत ने इस परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभाव और जल संकट को लेकर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इससे जलवायु परिवर्तन और निचले क्षेत्रों की पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
चीन की सफाई
चीन ने आश्वासन दिया है कि यह परियोजना दशकों के अध्ययन के बाद बनाई गई है। बीजिंग ने कहा है कि इसका उद्देश्य साफ ऊर्जा का उत्पादन करना और निचले इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। चीन के अनुसार, इस डैम का डाउनस्ट्रीम देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा मुद्दा
भारत और बांग्लादेश दोनों ने इस परियोजना को लेकर सवाल उठाए हैं। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन की 5-6 जनवरी की भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है।
अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन द्वारा बनाए गए अपस्ट्रीम बांधों ने पर्यावरण और डाउनस्ट्रीम देशों पर जलवायु प्रभाव डाला है। यह ब्रह्मपुत्र पर बनने वाला डैम भी इसी प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है। भारत में, चीनी दूतावास ने शनिवार को कहा कि चीन हमेशा “सीमा पार नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार” रहा है।
सुलिवन भारत के NSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। उम्मीद है कि इस दौरान ब्रह्मपुत्र डैम सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी।
पर्यावरणीय चिंताएं
पर्यावरणविदों का कहना है कि इस प्रकार के बड़े बांध डाउनस्ट्रीम देशों की पारिस्थितिकी और जल संसाधनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। चीन का यह डैम न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश के लिए भी जल संकट पैदा कर सकता है।
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