Mohammed Zubair Twitter account: भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल उठे हैं। सरकार ने अपनी बेबाक और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए मशहूर पत्रकार मोहम्मद जुबैर से जुड़ी जानकारी मांगी है। इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) ने उनके प्रोफाइल से ब्लू टिक हटा दिया, जबकि उनके पास @प्रीमियम सब्सक्रिप्शन था। यह कदम सिर्फ़ तकनीकी खामी नहीं है, बल्कि आलोचकों का मानना है कि यह स्वतंत्र पत्रकारों को चुप कराने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।
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X ने मेल लिख दी जानकारी- Mohammed Zubair Twitter account
इस मामले में X की तरफ से पत्रकार मोहम्मद जुबैर को एक मेल आया था जिसमें लिखा था कि,
“प्रिय एक्स उपयोगकर्ता, हम आपको यह सूचित करने के लिए लिख रहे हैं कि एक्स को आपके एक्स अकाउंट, @zoo_bear के बारे में एक कानूनी प्रक्रिया प्राप्त हुई है। यह कानूनी प्रक्रिया एक्स को आपके अकाउंट से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करने के लिए बाध्य करती है। हमारे मुख्य मूल्यों में से एक है उपयोगकर्ता की आवाज़ की रक्षा करना और उसका सम्मान करना। तदनुसार, हमारी नीति है कि हम उपयोगकर्ताओं को उनके खाते की जानकारी के लिए अनुरोध किए जाने पर प्रकटीकरण से पहले सूचित करें, जब तक कि हमें ऐसा करने से प्रतिबंधित न किया जाए।”
सरकार ने @zoo_bear से जुड़ी जानकारी मांगी, और @X ने उनकी ब्लू टिक हटा दी वो भी @premium सब्सक्रिप्शन होने के बावजूद।
ये कोई तकनीकी खराबी नहीं, बल्कि सच्चाई बोलने वाले पत्रकारों को चुप कराने की सोची-समझी साज़िश है।
जब सत्ता सच्चाई से डरती है, तो सबसे पहले अभिव्यक्ति की आज़ादी पर… pic.twitter.com/7zubZMNWpM— Karishma Aziz (@karishma_aziz97) November 19, 2024
“हम आपको कोई कानूनी सलाह नहीं दे सकते, लेकिन हमारा सुझाव है कि आप इस मामले में स्वयं कानूनी सलाह ले सकते हैं। इस नोटिस का जवाब देने के लिए कृपया सीधे इस ईमेल का उत्तर दें या हमें x-legal@x.com पर ईमेल करें।”
सच्चाई बोलने वालों पर हमला
जुबैर का मामला सिर्फ़ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। यह उन सभी आवाज़ों का मसला है जो सच को सामने लाने का साहस रखती हैं। जब सत्ता सच से डरती है तो सबसे पहला हमला अभिव्यक्ति की आज़ादी पर होता है। आलोचकों का कहना है कि यह घटना लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की आज़ादी पर हमला है। झूठ और ग़लत सूचना के ख़िलाफ़ खड़े होने वाले जुबैर जैसे पत्रकार सत्ता के लिए असुविधाजनक हो सकते हैं। लेकिन ऐसे कदम सिर्फ़ व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं बल्कि व्यापक लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमज़ोर करते हैं।
ब्लू टिक हटाना: एक रणनीति या तकनीकी चूक?
जुबैर का ब्लू टिक हटाने का एक्स का फैसला महज संयोग नहीं लगता। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब सरकार उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही है। जुबैर के पास एक्स पर प्रीमियम सब्सक्रिप्शन होने के बावजूद यह कार्रवाई की गई, जो सवाल खड़े करती है। किसी तकनीकी गड़बड़ी से ज्यादा, यह स्वतंत्र पत्रकारों के खिलाफ सेंसरशिप और दबाव बढ़ाने की रणनीति लगती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के विचारों से प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए प्रभावित हुए बिना अपना निर्णय स्वयं लें और निष्पक्ष तरीके से अपनी सरकार पर अपनी राय दें।