किसानों ने अपना आंदोलन बीते साल नवंबर के महीने में शुरू किया था, जो अब तक जारी है। नए कृषि कानून किसानों और सरकार के बीच बीते दो महीने से गतिरोध चल रहा है। देश के अन्नदाता सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। इस पूरे मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया और विवाद सुलझाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया।
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी 4 सदस्यीय कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने तीनों नए कृषि कानून पर कुछ समय के लिए रोक लगाई। साथ ही चार सदस्यीय एक कमेटी का भी गठन किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी को शामिल किया।
भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम लिया वापस
लेकिन अब भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस कमेटी से अलग कर लिया है। दरअसल, कमेटी में उनको शामिल किए जाने पर पहले से ही हंगामा हो रहा था। जो किसान कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उनका ये कहना था कि भूपिंदर पहले से ही तीनों कानून के समर्थन में हैं।
ये बताई वजह…
अब भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया। उन्होनें कमेटी में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद कहा। साथ ही वो ये भी बोले कि मैं किसानों की भावनाओं के बारे में जानता हूं। एक किसान और खुद एक यूनियन नेता के तौर पर मैं किसान संघों और जनता के बीच फैली शंकाओं को देखते हुए किसी भी बड़े पद को त्यागने के लिए तैयार हूं। मैं पंजाब और किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं कर सकता। कोर्ट द्वारा दी गई इस जिम्मेदारी को नहीं निभा सकता। इसलिए मैं खुद को कमेटी से अलग करता हूं।
भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। उनका किसानों में प्रभाव काफी अच्छा है। दिसंबर में भूपिंदर सिंह मान ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी। जिस दौरान उन्होनें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों का समर्थन किया था। हालांकि इस दौरान उन्होनें कानून में कुछ संशोधन के सुझाव भी दिए थे। जिसमें MSP की लिखित गारंटी देने को कहा गया था।
भूपिंदर सिंह मान को कमेटी का सदस्य बनाने पर शुरू से ही सवाल उठ रहे थे। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना था कि मान शुरू से ही कृषि कानून के समर्थन में है। ऐसे में उनको कमेटी का हिस्सा क्यों बनाया गया। हालांकि अब खुद भूपिंदर सिंह मान ने ही इस कमेटी से कदम पीछे हटा लिए हैं।