झारखंड की सियासत में इन दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के बयान पर जम कर बवाल हो रहा है। सीएम सोरेन के हिंदू और आदिवासियों पर दी गई प्रतिक्रिया को लेकर सियासत तेज हो गई है। एक ओर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मामले को लेकर झारखंड सरकार को निशाने पर ले रही है।
तो वहीं, दूसरी ओर राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की समर्थक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनके इस बयान से पल्ला झाड़ते दिख रही है। आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक संहिता की लगातार पैरवी कर रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अब ऐसा बयान दिया है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। हेमंत सोरेन ने कहा है कि आदिवासी कभी हिंदू नहीं थे।
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने यह बात कही थी। कांफ्रेंस के दौरान जब सोरेन से पूछा गया कि क्या आदिवासी हिंदू नहीं हैं। इस पर उन्होंने कहा कि ‘इस पर कोई भ्रम नहीं है। आदिवासी कभी भी हिंदू नहीं थे, न ही अब वे हिंदू हैं। आदिवासी प्रकृति के उपासक हैं। इनके रीति-रिवाज भी अलग हैं। सदियों से आदिवासी समाज को दबाया जाता रहा है। कभी इंडिजिनस, कभी ट्राइबल तो कभी अन्य तरह से पहचान होती रही।‘ उन्होंने केंद्र सरकार से जनगणना में आदिवासियों की गिनती के लिए अलग से कॉलम बनाने की मांग की। कांफ्रेंस का आयोजन हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के छात्रों ने किया था।
बीजेपी ने बोला जोरदार हमला
सीएम के इस बयान पर राजनीतिक पार्टियों की ओर से जबरदस्त प्रतिक्रिया सामने आई है। झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सीएम वेटिकन के हाथों खेल रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस तरह की बातें बताती हैं कि सीएम वेटिकन के हाथों में खेल रहे हैं। हमारे पास संवैधानिक निकाय हैं। सरना कोड जैसे मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए विधायिका और न्यायपालिका हैं। सोरेन अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस तरह की बातें कहकर विदेशी लोगों को हमारे मामलों में दखल देने की अनुमति दे रहे हैं।
कांग्रेस ने झाड़ा पल्ला
दूसरी ओर झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता किशोर शादो सीएम के बयान पर प्रतिक्रिया देने से पल्ला झाड़ते दिखें। उन्होंने कहा, सीएम के बयान पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा, क्योंकि मुझे नहीं पता कि उन्होंने वास्तव में क्या है? हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता ने भी केंद्र सरकार से जनगणना में आदिवासियों के लिए एक अलग कॉलम देने की मांग की।