राजस्थान में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यानी कि अभी चुनाव होने में करीब 2 साल का समय बाकी है। लेकिन राज्य की सियासत में अभी से ही बवाल मचना शुरु हो गया है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी गुटबाजी को लेकर चर्चा में है।
तो वहीं, प्रदेश की प्रमुख विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के अंदरखाने भी ऐसी ही खिचड़ी पक रही है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान विधानसभा चुनाव 2017 में मिली हार के बाद कथित तौर पर पार्टी में अलग-थलग पड़ गई है। पार्टी की कई बड़ी और महत्वपूर्ण मीटिंग में उनकी गैरहाजरी काफी कुछ बयां कर देती है।
आने वाले 2 सालों मे विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे सिंधिया के समर्थक नेता लगातार अपनी बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। तो वहीं, बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व उनके समर्थक नेताओं और पूर्व मंत्रियों पर अब अनुशासन का डंडा चलाना शुरु कर दिया है।
जानें क्या है मामला?
दरअसल, पिछले दिनों पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के करीबी नेता और पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा ने राजस्थान बीजेपी को लेकर टिप्पणी की थी। जिसके बाद महामंत्री भजन लाल शर्मा ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया है और 15 दिनों में जवाब देने को कहा है।
बीजेपी नेता रोहिताश शर्मा ने पिछले दिनों राजस्थान बीजेपी के नेताओं द्वारा दफ्तर से पार्टी चलाए जाने का जिक्र किया था और राजस्थान में विपक्ष के रूप में बीजेपी की हालत कमजोर बताते हुए उसकी तुलना केंद्र में विपक्ष में बैठी कांग्रेस से की थी। रोहिताश शर्मा ने कहा था कि केंद्र में हमारे मंत्री, नेता भी अब अपने क्षेत्र तक सीमित रह गए हैं, पूरे राजस्थान की कोई सुध लेने वाला नहीं है।
…अनुशासन समिति को भेजा जाएगा मामला
बीजेपी नेता ने आगे कहा था कि अभी प्रदेश स्तर पर कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसे पूरे राजस्थान की जानकारी हो। जिसके बाद बीजेपी संगठन की ओर से उन्हें नोटिस जारी किया गया है। महामंत्री की ओर से जारी किए गए इस नोटिस में लिखा है कि रोहिताश शर्मा ने कई अनर्गल आरोप संघ, बीजेपी संगठन पर सार्वजनिक रूप से लगाए हैं जो तथ्यों से परे थे।
शर्मा पर प्रदेश पदाधिकारियों के लिए अपशब्द और गाली का प्रयोग करने के भी आरोप लगाए गए हैं। नोटिस में स्पष्ट रुप से बीजेपी नेता रोहिताश शर्मा को 15 दिनों के भीतर अपना जवाब बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के सामने पेश करने को कहा गया है। और ऐसा न करने पर यह मामला अनुशासन समिति को भेजने की बात कही गई है।