भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इन दिनों लगातार चर्चा में बने हुए हैं। कई मुद्दों पर वह अपनी ही पार्टी की सरकार को निशाने पर लेते रहते हैं। कोरोना से पैदा हुई भयावह स्थिति को लेकर उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोला था और कोरोना से लड़ने की कमान केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को देने की बात कही थी। वहीं, वैक्सीन को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी। इसी बीच उन्होंने काशी के ज्ञानव्यापी मस्जिद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। साथ ही उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को समझाने की बात भी कही है।
पीएम को समझाने का प्रयास करेंगे स्वामी
लक्ष्मीबाई नलपत के साथ काशी के ज्ञानव्यापी मस्जिद को लेकर चल रहे एक कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद ने कहा, वो इस मुद्दे को लेकर कोरोना खत्म होने के बाद काशी जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को भी समझाने का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि वो केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से भी बात करेंगे। बीजेपी नेता ने कहा कि कोई भी आदमी मंदिर का मालिक नहीं हो सकता है भगवान स्वयं उसके संरक्षक होते हैं।
रामसेतु मामले पर दी प्रतिक्रिया
सुब्रमण्यम स्वामी ने रामसेतु को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा, रामसेतु को नेशनल हेरिटेज मॉन्यूमेंट घोषित करने को लेकर भी प्रधानमंत्री क्लियर नहीं थे। लेकिन बाद में गडकरी ने इस मामले में हस्तकक्षेप कर इसे पूरा करवाया। उन्होंने कहा कि ज्ञानव्यापी के मुद्दे पर हमें प्रयास करने की जरूरत है।
दरअसल, पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास के बीच सुब्रमण्यम स्वामी ने राम मंदिर और रामसेतु के मामले पर पीएम मोदी को निशाने पर लिया था। तब उन्होंने पीएम से रामसेतु को नेशनल हेरिटेज मॉन्यूमेंट घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि 5 साल से पीएम के टेबल पर संस्कृति मंत्रालय की फाइल पड़ी है।
राम मंदिर निर्माण में नहीं है पीएम का योगदान
वहीं, राम मंदिर को लेकर भी उन्होंने पीएम मोदी को निशाने पर लिया था। सुब्रमण्यम स्वामी ने स्पष्ट रुप से कहा था कि राम मंदिर निर्माण में पीएम मोदी का कोई योगदान नहीं है। एक टीवी चैनल पर राज्यसभा सांसद से सवाल पूछा गया था कि राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किन्हें बुलाया जाना चाहिए।
इसके जवाब में उन्होंने तपाक से कहा कि मंदिर निर्माण में प्रधानमंत्री का कोई योगदान नहीं है। सारी बहसें हमने कीं। उन्होंने कहा, ‘जहां तक मैं जानता हूं कि सरकार की तरफ से उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, जिसके बारे से हम कह सकें कि उसकी वजह से निर्णय मंदिर पक्ष में आया है।’ उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने इसके लिए काम किया उनमें राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और अशोक सिंहल शामिल हैं। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसमें अड़ंगा अड़ाया था।