पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की 213 सीटों पर कब्जा जमाया। इस चुनाव में टीएमसी को टक्कर देने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी मात्र 77 सीटों पर ही सिमट गई। चुनाव से ठीक पहले टीएमसी के कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हुए थे।
टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए कई नेताओं को बीजेपी ने चुनाव में उतारा लेकिन उनमें से कुछ ही नेताओं को जीत मिली। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश की सियासत में इस बात की चर्चा तेज है कि बीजेपी में शामिल हुए नेता फिर से टीएमसी से वापसी को कोशिशों में लगे हैं।
इसी बीच बीजेपी की बंगाल इकाई ने एक उच्चस्तरीय संगठनात्मक बैठक बुलाई थी, जिसमें कई दिग्गज नेता शामिल नहीं हुए थे। जिसके बाद अब एक बार फिर से इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि पश्चिम बंगाल बीजेपी में जल्द ही बड़ी फूट पड़ने वाली है।
ये दिग्गज नहीं हुए बैठक में शामिल
बीते दिन मंगलवार को बीजेपी की बंगाल इकाई ने एक उच्चस्तरीय संगठनात्म बैठक बुलाई, जिसमें पार्टी नेताओं को शारीरिक रुप से उपस्थित होना आवश्यक था। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, शमिक भट्टाचार्य और राजीव बनर्जी जैसे दिग्गज नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए। जिसके बाद से बंगाल की सियासी गलियारों में हलचलें काफी तेजी हो गई है।
बीजेपी ने कहा- अनुपस्थिति चिंता की विषय नहीं
हालांकि, बीजेपी बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस मसले पर कहा है कि वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति चिंता की विषय नहीं है। उन्होंने कहा, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय बैठक में नहीं आ सके क्योंकि उनकी पत्नी की तबीयत खराब है। प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य के पिता का निधन हो गया है। तृणमूल कांग्रेस के मंत्री से भाजपा नेता बने राजीव बनर्जी निजी कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके।
बीजेपी को लग सकता है बड़ा झटका
बताते चले कि पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर इन दिनों कई नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने पर खेद व्यक्त कर रहे हैं। ऐसे समय में पार्टी के इन प्रभावशाली नेताओं के बैठक में शामिल नहीं होने से अटकलबाजी तेज हो चुकी है। पिछले दिनों इस बात की चर्चा भी तेज थी कि बीजेपी के 77 में से 33 विधायक टीएमसी में शामिल होना चाहते हैं।
हालांकि, इन दावों में कोई दम नहीं था, अभी तक स्थिति सामान्य बनी हुई है। वहीं, पिछले कुछ दिनों से बीजेपी के नेता अपनी ही पार्टी की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं, ऐसे में इस बात की चर्चा भी तेज है कि बंगाल की सियासत में आने वाले समय में कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।