नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के रंग को लेकर इन दिनों चर्चाएं तेज हो रही हैं। वजह है एक नेता के द्वारा उनके रंग पर विवादित बयान देने का। दरअसल, बीजेपी के एक नेता ने रवींद्रनाथ टैगोर को काला बताकर बवाल खड़ा कर दिया। उनके इस बयान को लेकर विवाद बढ़ गया है और दूसरी पार्टियां इसके लिए उन्हें जमकर घेरती हुई नजर आ रही हैं।
बीजेपी नेता ने की रंग पर टिप्पणी
नेता ने बयान देते हुए कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर सांवले थे, इसलिए उनकी मां उन्हें गोद में नहीं लिया। ये बयान दिया है केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने। दरअसल, हाल ही में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री पश्चिम बंगाल में विश्व भारती विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान ही उन्होंने कहा कि टैगोर के परिवार में सब गोरे थे, जबकि वो टैगोर का रंग काला था।
‘…इसलिए मां नहीं लेती थीं गोद में’
इस दौरान दो तरह की गोरी त्वचा वाले लोगों के बारे में बताया। सुभाष सरकार ने कहा कि एक तो लोग पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोरे लोग होते हैं, और दूसरे जो गोरे होते हैं लेकिन लाल रंग की आभा का प्रभाव होता है। टैगोर दूसरी वाली कैटेगिरी के थे।
आगे बीजेपी नेता ने ये भी कहा कि टैगोर का रंग ज्यादा गोरा नहीं होने के चलते उनकी मां और परिवार के दूसरे सदस्य को गोद में नहीं लेते थे। सुभाष सरकार ने कहा कि आगे चलकर टैगोर ने पूरी दुनिया के सामने भारत का नाम को रोशन किया।
विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर बरसीं
सुभाष सरकार के इस बयान पर काफी विवाद हो रहा है। खासतौर पर TMC उन्हें जमकर घेरती हुई नजर आ रही है। TMC नेता अभिषेक बनर्जी ने इसको नस्लवादी टिप्पणी करार दिया और कहा कि सुभाष सरकारको इतिहास के बारे में नहीं पता। दुनिया जानती है कि रवींद्रनाथ टैगोर का रंग गोरा था। ये टिप्पणी नस्लवादी है। बीजेपी ने बंगाल का अपमान किया। सुभाष सरकार को विश्व भारती में दोबारा आने नहीं देना चाहिए।
वहीं CPIM ने सुभाष सरकरा के बयान की निंद की। पार्टी के सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने इस पर कहा कि ऐसे बयान बीजेपी की नस्लवादी और बंगाली विरोधी सोच को दिखाते हैं।