उत्तर प्रदेश में आने वाले वक्त में असेंबली इलेक्शन होने वाले हैं, लेकिन सवाल यहां ये हैं कि क्या अत्मविश्वास से भरी बीजेपी और योगी आदित्यनाथ के लिए यूपी में सब बढ़िया चल रहा है? ये सवाल पूछने की जरूरत इस वजह से पड़ी क्योंकि पश्चिमी यूपी के हालात अगर बीजेपी और योगी के लिए देखें तो कुछ सही नहीं दिख।
छोटी जातियों को साधने में जुटी पार्टी
हाल ही में मुजफ्फरनगर की महापंचायत से ऐलान किया गया था किसान नेताओं ने कि यूपी में 2022 विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को वोट से चोट दिया जाएं। एक तो किसान आंदोलन की नाराजगी ऊपर से जाट वोटों के कटने के काट की खोज करना… ये तो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में बीजेपी पश्चिम यूपी में छोटी-छोटी जातियों को एकजुट करने की कोशिश में लगी हैं।
इस कोशिश को कामयाब करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद ही अपने हाथ में कमान थामी है। बीते सितंबर महीने में ही उन्होंने मुरादाबाद में धनगर समाज के वोटों को अपनी तरफ करने के की कवायद की थी और गुर्जरों को अपनी सियासी संदेश भी लगे हाथ दे ही दिया था।
जाट वोटर्स का असर
गौर करने वाली बात है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत पर एक समुदाय का सीधा और जोरदार असर है और वो है जाट समुदाय। साल 2013 था जब मुजफ्फरनगर दंगे हुए और इसके बाद बीजेपी जाटों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रही थी। बीजेपी ने पश्चिम यूपी में गुर्जर जाट के साथ ही ठाकुर, ब्राह्मण, त्यागी, वैश्य समाज को भी अपनी तरफ कर लिया था। 2014-2019 के लोकसभा साथ ही साथ 2017 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से विपक्ष को धारासाई किया था बीजेपी ने।
लेकिन आज हालात अलग है और बीजेपी को वोटों का तगड़ा नुकसान हो सकता है इस बार पश्चिमी यूपी में। एक तो पश्चिम यूपी में होने वाला किसान आंदोलन, जिसने बीजेपी का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया है। ऊपर से जाति की सियासत पर बीजेपी का उतारू होना… ये सब बीजेपी को पीछे धकेल सकता है।
जानकारी दे दें कि मुस्लिम और जाट के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर, ठाकुर, सैनी, कश्यप मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इस एरिया में ब्राह्मण, त्यागी और ठाकुर जो हैं, वो परंपरागत तौर पर बीजेपी के वोटर माने जाते हैं। सीएम योगी पश्चिम यूपी में गुर्जर के साथ ही हर छोटी जातियों को ऐसे में साधने में जुट गए हैं, क्योंकि योगी ऐसा कर पाते हैं तो राजपूत, त्यागी, गुर्जर, वैश्य, शाक्य, सैनी इस तरह की जातियां मिलकर आने वाले चुनाव में बीजेपी का कुछ भला कर सकती है पश्चिम यूपी वाले एरिया में।
पश्चिमी यूपी में गुर्जर समुदाय का प्रभाव
पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय के मतदाताओं की खासी संख्या है, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। चाहे गाजियाबाद हो या फिर नोएडा, बिजनौर, संभल या फिर मेरठ, सहारनपुर, कैराना डिस्ट्रिक्ट की करीब दो दर्जन सीटों पर गुर्जर समुदाय का जो रोल रहा है वो अहम रहा है। जहां 20 से 70 हजार के आसपास वोटों की संख्या होती है। एक वक्त तो ऐसा भी था, जब गुर्जर समाज के सबसे बड़े और जाने माने बीजेपी नेता हुकुम सिंह थे जो कि कैराना के साथ-साथ पश्चिम यूपी की सियासत पर काफी ज्यादा असर रखते थे।