केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में आदोलन तेज हो गया है। 26 मई को आंदोलन के 6 महीने पूरे हो गए हैं। किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे हुए हैं और केंद्र सरकार से लगातार नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच अंतिम बातचीत जनवरी महीने में हुई थी, उसके बाद से अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बैठक नहीं हुई है। आंदोलन कर रहे किसान और उनके समर्थन में देश के कई राज्यों के किसानों ने 26 मई को काला दिवस के रुप में मनाया।
विपक्षी पार्टियों की ओर से भी किसान आंदोलन को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। सत्ताधारी बीजेपी के कई नेता भी लगातार सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच बीजेपी महासचिव ने कहा है कि किसान मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है और वह उनकी आय दोगुनी करने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
किसानों को गुमराह कर रही विपक्षी पार्टियां
बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव का कहना है कि किसान मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं और वह उनकी आय दोगुनी करने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल प्रासंगिक बने रहने के लिए उनको गुमराह कर रहे हैं। यादव ने किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लिया।
बीजेपी महासचिव ने देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, कांग्रेस ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर कृषि क्षेत्र में सुधार पर यू-टर्न लिया है।
भूपेंद्र यादव ने कहा, संप्रग सरकारों के दौरान इन कानूनों को कांग्रेस ने जरूरी सुधार बताया था और अब विपक्षी दल अन्य अवसरवादी दलों के साथ मिलकर इन कानूनों के बारे में किसानों को गुमराह कर रहे हैं ताकि प्रासंगिक बने रहें। लोग उन्हें देख रहे हैं।
पंजाब के किसानों ने रिकार्ड मात्रा में खरीदा गया अनाज
बीजेपी महासचिव ने कहा, मोदी सरकार का ट्रैक रिकार्ड सब कुछ कह रहा है और यह स्पष्ट है कि किसान इसकी शीर्ष प्राथमिकता में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल में करोड़ों किसानों को लाभ प्रदान किया है। सरकार ने सीधे धन ट्रांसफर कर पंजाब के किसानों से रिकार्ड मात्रा में अनाज खरीदा है। यादव ने कहा कि एक तरफ सरकार जहां कोरोना से देश को सुरक्षित करने में कड़ी मेहनत कर रही है तो दूसरी तरफ कई कदम उठाकर किसानों का सहयोग करने के लिए काम कर रही है।
जनवरी के बाद से नहीं हुई है बातचीत
बता दें, दिल्ली के बॉर्डरों पर आंदोलन के 180 दिन से ज्यादा का वक्त बीत गया है। किसान संगठनों की ओर से पीएम मोदी को बातचीत शुरु करने को लेकर पत्र भी लिखा जा चुका है। 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद अभी तक दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है।
नवंबर 2020 से शुरु हुआ यह आंदोलन आज भी चल रहा है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच भी यह आंदोलन चलता रहा। किसानों की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को रद्द करे और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दे। आने वाले समय में दोनों ही पक्षों के बीच दोबारा बातचीत कब से शुरु होगी, इस पर सस्पेंस बना हुआ है।