गुरुग्राम से सटे मेवात जिले के नूंह में ब्रज मंडल यात्रा से पहले चप्पे-चप्पे पर जवान तैनात हैं, ताकि कोई घटना न हो। आज कड़ी सुरक्षा के बीच ब्रज मंडल जलाभिषेक यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा दोपहर 12 बजे शुरू होगी और शाम 5 बजे तक समाप्त होगी। जिले में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाएं शाम 6 बजे तक बंद कर दी गई हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हरियाणा सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि नूंह जिले में तनाव, आंदोलन, सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान और सार्वजनिक शांति और सद्भाव में खलल पड़ने की आशंका है। इसलिए ऐसे फैसले लिए गए हैं।
कमिश्नर का बयान
नूंह के उपायुक्त धीरेन्द्र खड़गटा ने कहा कि यात्रा के लिए सभी प्रबंध कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा,”श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसके लिए वोलियंटियर तैनात किए गए है। उचित सुरक्षा व्यवस्था की गई है और निगरानी बढ़ा दी गई है। स्थिति बहुत शांतिपूर्ण है। सभी धर्मों के लोग यात्रा का स्वागत कर रहे हैं।”
नूंह के एसपी विजय प्रताप ने कहा, “पुलिस टीमें तैयार हैं और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ड्रोन के जरिए वीडियो निगरानी बढ़ा दी गई है। डॉग स्क्वॉड और घुड़सवार सशस्त्र पुलिस को भी तैनात किया गया है।”
बिट्टू बजरंगी को यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं
पिछले साल नूंह में हुए दंगों के बाद अब पुलिस काफी सतर्क हो गई है। नूंह में हुए दंगों में काफी नुकसान हुआ था और हिंसा कई दिनों तक चली थी। इसी वजह से पिछली बार यात्रा के दौरान हुए बवाल के बाद बिट्टू बजरंगी का नाम सुर्खियों में आया था। पिछले साल नूंह में हुए दंगों से जुड़े बिट्टू बजरंगी पर कुल 9 मामले दर्ज हैं। पुलिस ने बिट्टू बजरंगी को यात्रा के दौरान अपने घर पर ही रहने और दंगा भड़काने में किसी भी तरह की संलिप्तता से बचने को कहा है। यह जानकारी फरीदाबाद पुलिस द्वारा बिट्टू बजरंगी के घर के बाहर लगाए गए नोटिस में लिखी गई है।
क्यों होती है नूंह में यात्रा
हरियाणा के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल जिले में कई पुराने मंदिर हैं, जो हिंदू अल्पसंख्यकों के कारण जीर्ण-शीर्ण हो रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, महाभारत काल के तीन शिवलिंग भी हैं। इन मंदिरों से लोगों को फिर से जोड़ने के लिए हिंदू संगठनों ने कुछ साल पहले मेवात दर्शन यात्रा शुरू की थी। इस दौरान श्रद्धालु नूंह के मंदिरों में जाते हैं। सोहना और मेवात के बीच होने वाले इस समारोह की शुरुआत जलाभिषेक से होती है। यह अभिषेक नल्हर महादेव मंदिर में होता है, जिसकी स्थापना पांडव काल में हुई थी।
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