कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब थमने लगा है। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या भी लगातार घट रही है। एक वक्त ऐसा था जब एक दिन में सामने आने वाले मामलों की संख्या 4 लाख के पार पहुंच गई थीं, लेकिन अब ये घटकर एक लाख के नीचे आ गई। बीते तीन दिनों से लगातार देश में कोरोना केस एक लाख से कम सामने आ रहे हैं।
वहीं कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़े में भी कमी आई, लेकिन आज का जो मौतों का आंकड़ा वो चौंकाने वाला है। देश में आज कोरोना से 6 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौतों का आंकड़ा सामने आया है।
देश में आज 6 हजार से ज्यादा मौतें
जी हां, अगर आज के आंकड़ों पर गौर करें तो कोरोना के 93,828 नए केस बीते 24 घंटों सामने आए हैं, जबकि मौत का आंकड़ा 6148 है। जब कोरोना पीक पर था, तब भी इतना बड़ी संख्या में मौत नहीं हुई थीं। ऐसा पहली बार हुआ जब आंकड़ा 6 हजार पार चला गया। वहीं अगर एक दिन पहले बुधवार के आंकड़े पर नजर डालें, तो देशभर में कोरोना 2219 मौतें हुई थीं। एक दिन में अचानक 4 हजार के करीब मौत की संख्या में इजाफा कैसे हो गया? आइए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं…
बिहार ने आंकड़ों में बड़ा उलटफेर
दरअसल, ये 4 हजार मौतों का आंकड़ा नया नहीं, पुराना है। ऐसा हुआ है बिहार की वजह से। जी हां, बिहार ने मौत के आंकड़ों का ‘सच’ सामने आ गया है। बिहार सरकार ने कोरोना से होने वाली 4 हजार के करीब मौत को स्वीकार कर लिया है। दरअसल, बिहार में कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा एक दिन में 5458 से बढ़कर 9429 पहुंच गया।
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
हुआ कुछ यूं कि बिहार सरकार ने 18 मई को मौते के आंकड़ों को लेकर जांच करने का फैसला लिया। इसके लिए 2 टीमों का भी गठन किया गया, जिसकी जांच में इस बड़ी लापरवाही का पर्दाफाश हुआ।
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने स्वीकार किया कि अब तक मौत का सही आंकड़ा सामने नहीं आया था। उन्होंने कहा कि जब हमने इसको लेकर अपने स्तर पर जांच कराई, तब ये बात सामने आई। साथ में उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों ने ये गडबड़ी की और सही जानकारी नहीं दी, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि कार्रवाई कितने लोगों पर की जाएगी, इस सवाल पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया।
अपर मुख्य सचिव ने इस घोर लापरवाही पर पर्दा डालने की भी कोशिश की। मौत का सही आंकड़ा नहीं सामने आने को लेकर उनकी तरफ से कुछ तर्क दिए गए। उन्होंने कहा कि कई लोगों की मौत होम आइसोलेशन में हुई। जबकि कुछ संक्रमित होने के बाद एक जिले से दूसरे जिलों में चले गए और वहां उनकी मौत हो गईं। इसके अलावा कुछ लोगों की मौत अस्पताल जाने के क्रम में हुई, साथ में कुछ लोगों ने पोस्ट कोविड के चलते दम तोड़ा। इसके चलते मौत का सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाया था।
गौरतलब है कि सिर्फ बिहार ही नहीं जब कोरोना की दूसरी लहर का कहर देश पर सबसे ज्यादा था, तब कई और राज्य सरकारों पर आंकड़े छुपाने को आरोप लगे। हालांकि अब तक मौत के आंकड़ों को लेकर तो सिर्फ बिहार का ही सच सामने आ पाया है। अगर बिहार की तरह दूसरे राज्यों की सरकारें भी मौत के आंकड़ों की जांच कराए, तो शायद सरकारी आंकड़ों की ‘पोल’ खुल जाए।