देश में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन चरम पर है। दिल्ली के बॉर्डरों पर नवंबर 2020 से शुरु हुआ यह आंदोलन अभी भी गतिशील है। कोरोना की दूसरी लहर आई और अब ठंडी भी पड़ती दिख रही है लेकिन किसान आंदोलन पर इसका काफी कम असर देखने को मिला। आज इस आंदोलन के 6 महीने पूरे हो गए हैं।
किसान आज के दिन को काला दिन के रुप में मना रहे हैं। किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही इसका ऐलान कर दिया था। इसी बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को एक बार फिर केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत शुरु करने की अपील की।
सरकार को मनाना BJP-JJP की जिम्मेदारी
बीते दिन मंगलावर को हरियाणा के पूर्व सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार को राजी करने की जिम्मेदारी हरियाणा की BJP-JJP सरकार के कंधों पर है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, दिल्ली से लगती हरियाणा की सीमाएं केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का केंद्र रही है और राज्य की BJP-JJP सरकार को केंद्र सरकार को समाधान ढूंढने के लिए राजी करना चाहिए था।
‘प्रदर्शन अब हमारी जमीन पर हो रहा है’
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा,‘प्रदर्शन अब हमारी जमीन पर हो रहा है, इसलिए किसानों की मांगें मानने के केंद्र सरकार को राजी करना हरियाणा की BJP-JJP सरकार की जिम्मेदारी है।‘
उन्होंने कहा, ‘सरकार को देशहित में किसानों की मांगों पर विचार करके सम्मानजनक समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए। दिल्ली की सीमाओं के समीप किसान आंदोलन के छह महीने पूरे हो गये हैं और बड़ी संख्या में किसान अपने घर-परिवार छोड़कर सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं एक बार फिर सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों से सकारात्मक मानसिकता के साथ बातचीत करने की अपील करता हूं।‘ उन्होंने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा ने गतिरोध दूर करने की कोशिश की है और उसने इस मुद्दे का सम्मानजनक हल ढूंढने के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है।
जनवरी के बाद नहीं हुई है बातचीत
बता दें, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन 6 महीने से चल रहा है। जनवरी महीने के बाद से अभी तक केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत नहीं हुई है। उससे पहले केंद्र सरकार के प्रतिनिधि और किसान नेताओं के बीच 11 दौरे की बातचीत हो चुकी है, सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर बहस चली लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों की ओर से भी एक बार फिर से सरकार से बातचीत शुरु करने का आग्रह किया गया है।