घर से बाहर निकलते ही लगभग हर रोज सड़क, चौरहे, धार्मिक स्थलों के बाहर या फिर गलियों में भिखारियों से हमारा सामना होता है। बच्चे, बुढ़े, महिलाएं समेत कई तरह के लोग भीख मांगते दिख जाते है। लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में अब ऐसा देखने को नहीं मिलेगा।
राजस्थान की गहलोत सरकार ने इसे लेकर अब काफी बड़ा कदम उठाया है। जिसकी चारों ओर जमकर तारीफ हो रही है। राजस्थान सरकार ने भिखारियों के जीवन स्तर को बदलने की दिशा में बहुत से कदम उठा रहा है, अब भिखारी पूरे सम्मान के साथ जीवन यापन कर सकेंगे।
भीख मांगने वाले 60 लोगों को मिला रोजगार
राजस्थान कौशल और आजीविका विकास निगम द्वारा राज्य में भिखारियों को ट्रेनिंग देकर रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। पिछले दिनों जयपुर में सड़क पर भीख मांगने वाले 60 लोगों को 1 साल की ट्रेनिंग देने के बाद रोजगार दिया गया। जिसके बाद से यह मामला काफी सुर्खियां बटोर रहा है।
राजस्थान कौशल और आजीविका विकास निगम के निदेशक नीरज के पवन ने सरकार की इस पहल पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, पुलिस प्रशासन की तरफ से भिखारियों को सड़क से लाया गया और हमारे केंद्र पर कौशल प्रशिक्षण दिया गया। अब उनको रोजगार मिल गया है।
देश के इस राज्य में है सबसे ज्यादा भिखारियों की संख्या
बताते चले कि राजस्थान में काफी ज्यादा भिखारी देखने को मिल जाते है। गहलोत सरकार कई योजनाओं के तहत उनके पुनर्वास को लेकर कदम उठा रही है। देश में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में है। इस राज्य में भिखारियों की संख्या 81,244 है।
उसके बाद उत्तर प्रदेश में भिखारियों की संख्या 65,835, आंध्रप्रदेश में 30,218, बिहार में 29,723, मध्यप्रदेश में 28,695, राजस्थान में 25,853 और दिल्ली में 2,187 भिखारी है।
भिखारियों की संख्या चंडीगढ़ में 121 है जबकि लक्षद्वीप में सिर्फ 2 भिखारी है। देश में पुरुष भिखारियों की संख्या 2 लाख 21 हजार से ज्यादा है। जबकि महिला भिखारियों की संख्या 1 लाख 92 हजार के करीब है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार यह आंकड़े सामने आए हैं।