एलोपैथी और डॉक्टरों को लेकर दिए गए बयान के बाद बाबा रामदेव की जमकर किरकिरी हुई। देश भर के डॉक्टरों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड (IMA) बाबा रामदेव पर पूरी तरह से हमलावर है।
वहीं, पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की ओर से भी लगातार जवाब दिया जा रहा है। पतंजलि की पहचान योग, आयुर्वेद और स्वदेशी चीजों को बढ़ावा देने वाला रहा है। इसी बीच अपने बयानों से विवादों में घिरे बाबा रामदेव ने कहा है कि पतंजलि योगपीठ भविष्य में एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज का निर्माण करेगा।
माफी मांग ली है फिर भी मामले को बढ़ाया जा रहा
योगगुरु बाबा रामदेव का कहना है कि योगपीठ द्वारा एलोपैथिक कॉलेज बनाने का मकसद एलोपैथिक एमबीबीएस डॉक्टर तैयार करना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे एलोपैथी से जुड़ी चिकित्सा और डॉक्टरों का सम्मान करते हैं।
एलोपैथी और डॉक्टरों पर अपने बयानों को लेकर सफाई देते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि वह उनका आधिकारिक बयान नहीं था, बल्कि वॉट्सऐप पर मिली एक जानकारी को वे सबसे साझा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने बयान को लेकर मैंने माफी मांग ली है लेकिन फिर भी इस मामले को आगे बढ़ाया जा रहा है।
एलोपैथी से घृणा का कोई सवाल ही नहीं
रामदेव का मानना है कि उनके मन में किसी के लिए दुराग्रह नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि एलोपैथी ने करोड़ों जान बचाई लेकिन एलोपैथी में कई रोगों की दवाई नहीं है।’ उन्होंने कहा कि एलोपैथी से घृणा का कोई सवाल नहीं है, पर आयुर्वेद का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने एलोपैथी दवाओं के साथ योग को भी जरूरी बताया और कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से हमें मिलकर लड़ना होगा।
एलोपैथी को बताया था दिवालिया साइंस
बता दें, पिछले दिनों सोशल मीडिया पर बाबा रामदेव की एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रही थी। जिसमें वह एलोपैथी को एक स्टूपिड और दिवालिया साइंस बताते नजर आए थे। जिसके बाद विवाद बढ़ गया था। वायरल वीडियो में रामदेव को कहते सुना जा सकता है कि कोविड-19 के लिए ऐलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग मर गए।
उन्होंने कोरोना वायरस के इलाज में की जा रही कुछ दवाईयों पर भी सवाल उठाए थे। रामदेव की इस टिप्पणी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शर्मनाक बताया और उनसे बयान वापस लेने की अपील की थी। जिसके बाद रामदेव ने अपना बयान वापस ले लिया।