अयोध्या में राम मंदिर बनवाने के लिए दशकों तक लड़ाई चली। इसके लिए आंदोलन भी छेड़ा गया। इस आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान तक गंवाई। लंबे इंतेजार के बाद 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐतहासिक फैसला सुनाया, तो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ। फिर भूमि पूजन हुआ और राम मंदिर का निर्माण शुरू किया गया।
ट्रस्ट पर हमलावर विपक्ष
एक तरफ तो राम मंदिर का निर्माण चल रहा है, दूसरी ओर जिस ट्रस्ट पर मंदिर बनाने का जिम्मेदारी है, वो इस वक्त सवालों के घेरे में आ गई। दरअसल, राम मंदिर ट्रस्ट पर जमीन घोटाले के आरोप लगे हैं। इस मामले पर सियासी संग्राम बढ़ता ही चला जा रहा है। जहां एक तरफ कांग्रेस, सपा और AAP इसको लेकर ट्रस्ट पर हमलावर है और सवाल उठा रही थीं। तो वहीं बीजेपी की तरफ से ट्रस्ट पर लगे आरोपों का बचाव किया जा रहा है।
सीएम योगी ने देखें कागजात
मामले पर विवाद बढ़ता देख अब इसको लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी एक्टिव मोड़ में आ गए। उन्होंने जमीन खरीद से जुड़े विवाद को लेकर अधिकारियों से पूरा ब्यौरा मांगा। जिसके बाद उन्हें जमीन से जुड़े कागज भी दिखाए गए।
‘आरोप साबित हुए तो…’
वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी इस मामले पर कुछ ट्वीट किए। जिसमें उन्होंने ट्रस्ट पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा कि “राम भक्तों को राम द्रोही उपदेश ना दें।” इसके अलावा मौर्या ये भी बोले अगर ये जो आरोप लगे हैं, वो सही साबित हुए तो दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ में उन्होंने ये भी कहा कि कहा कि जिनके खुद के हाथ राम भक्तों के खून से रंगे हैं, उन्हें सलाह नहीं देनी चाहिए।
क्या लगे हैं आरोप?
दरअसल, विपक्ष के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि राम मंदिर के लिए ट्रस्ट ने 2 करोड़ की जमीन साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीदी। आरोप ये लगे कि 12,080 वर्ग मीटर की जमीन को सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने 2 करोड़ में खरीदा था। जिसका बैनामा किया गया 2 करोड़ में, लेकिन 10 मिनट में ही इसे ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीद लिया।
सुल्तान अंसारी ने बताई पूरी कहानी
हालांकि अब ये बात सामने आ रही हैं कि जमीन की ये डील 10 मिनट नहीं बल्कि 10 सालों में हुईं। जमीन को लेकर दो बार डील हुई, जिसमें से पहली बार एग्रीमेंट साल 2011 में हुआ। तब इस जमीन के मालिक सुल्तान अंसारी के पिता और हरीश कुमार पाठक थे। बाद में 2021 में बैनामा हुआ, तो रवि मोहन तिवारी को भी शामिल किया गया। दूसरा एग्रीमेंट साल 2014 का है।
इसके बारे में खुद सुल्तान अंसारी ने एक इंटरव्यू में बताया। उन्होंने कहा कि 4 मार्च 2014 को ट्रस्ट के जरिए चंपत राय ने जमीन को खरीदने के लिए संपर्क किया। दूसरी बार जब एग्रीमेंट हुआ, तो डील 18.5 करोड़ की थीं। इसके बाद में 17 करोड़ किया गया। डेढ़ करोड़ रजिस्ट्री के बाद दिया जाएगा। सुल्तान अंसारी ने बताया कि जमीन का जो रेट बदला, वो 2011 से 2021 के बीच हुआ। लगाए जा रहे सभी आरोप तथ्यहीन हैं।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भी आरोपों को भ्रामक बताया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अब तक जितनी भी जमीन खरीदी, उसकी कीमत खुले बाजार से बहुत कम दामों पर ही खरीदा है।
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां घोटाले के आरोपों को लेकर ट्रस्ट पर हमलावर हैं। AAP के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता संजय सिंह ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं और सीबीआई-ईडी के द्वारा जांच करने की मांग कर रहे हैं।