भारत की लाइफ लाइन है रेलवे….रेलवे के द्वारा हर रोज 13 हजार से ज्यादा ट्रेनें संचालित की जाती है…जिसमें हर दिन भारत में करीब ढाई करोड़ लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं….लेकिन पिछले कुछ समय से ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों की जान के पीछे अनजान शक्तियां पड़ी हुई हैं…जो कभी भी और कहीं भी उनकी जान ले सकती हैं… सवाल वही है कि आखिर इन सब के पीछे कौन है? आखिर कौन है जो देश की आम जनता की जान के पीछे हाथ धो कर पड़ा हुआ है? कौन है जो ट्रेन को निशाना बनाकर भारत को दहलाने का प्रयास कर रहा है? क्या कोई विदेशी या आतंकी साजिश है या देश में रहने वाले लोग ही किसी के बहकावे में आकर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं…? ऐसी घटनाओं पर सरकार लाचार क्यों है? सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कर रही है? साथ ही ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के लिए देश में किस तरह के कानून हैं?
घटनाओं के पैटर्न को समझिए
अगर पूरे पैटर्न को देखें तो ऐसी घटना देश में सबसे पहले 5 जून 2023 में ओडिशा में देखने को मिली थी..ओडिशा के भद्रक में मंजुरी रोड की रेलवे क्रॉसिंह पर एक लकड़ी का बड़ा टुकड़ा देखने को मिला था. यह वही समय था जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल के 9 सालों की उपलब्धियां गिना रही थी…देश को मोदी सरकार द्वारा पिछले 9 सालों में किए गए काम बताए जा रहे थे…उसी दौरान ओडिशा में यह घटना देखने को मिली थी…
उसके बाद 2 अक्टूबर 2023 को राजस्थान में गंगरार-सोनियाना स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक पर लोहे के 2 प्लेट पिन और पत्थर रखे गए थे…यह वह समय था जब देश गांधी जयंती मना रहा था..उसी दिन देश को दहलाने का प्रयास किया गया था. ध्यान देने वाली बात है कि इस घटना से मात्र 15 दिन पहले ही मोदी सरकार ने 13000 करोड़ की पीएम विश्वकर्मा योजना लॉन्च की थी और उसका जमकर प्रचार किया जा रहा था.
फिर 4 फरवरी 2024 को तमिलनाडु के मदुरै में वांची मनियाची जंक्शन और तिरुनेलवेली जंक्शन के बीच वंदे भारत ट्रेन पर पत्थर फेंके गए थे, जिसमें ट्रेन के 9 शीशे टूट गए थे.. चौथी घटना 12 जुलाई 2024 को देखने को मिली…जब पश्चिम बंगाल में दुबराजपुर- चिनियाल सेक्शन के पास रेलवे ट्रैक पर कब्जा और रेलवे ट्रैक तोड़ने की कोशिश की गई..इस केस में शेख लादेन नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया.
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अगस्त 2024 में हुई सबसे ज्यादा घटनाएं
इसके बाद अगस्त 2024 में कुल 12 बार ट्रेन को निशाना बनाने का प्रयास किया गया और उत्तर प्रदेश में ये मामले ज्यादा देखने को मिले…1 अगस्त को लखनऊ डिवीजन के लालगोपालगंज स्टेशन के पास ट्रैक पर साइकिल और गैस सिलेंडर रखा मिला…इस केस में गुलजार नाम का आरोपी गिरफ्तार किया गया…5 अगस्त को फिर से उसी एरियार में रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर और साइकिल मिली..जिसमें गुफरान नाम का आरोपी पकड़ा गया…17 अगस्त को कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के 20 डब्बे उतर गए…मौके से पुरानी पटरी का टुकड़ा और लोहे का क्लैंप मिला…18 अगस्त को मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेलवे लाइन पर लोहें की छड़ें मिली…20 अगस्त को प्रयागराज में रेलवे ट्रैक पर बाइक का अलॉय मिला और पास में ही झाड़ियों से एक बैग मिला.
20 अगस्त को ही भदोहरा रेलवे स्टेशन के पास कॉन्सटेबल प्रमोद कुमार और मोहम्मद जावेद की डेडबॉडी मिली…मर्डर का केस दर्ज किया गया और एजेंसियों ने इसे साजिश माना…24 अगस्त को राजस्थान के अजमेर में रेलवे ट्रैक पर पत्थर रखे मिले…23 अगस्त को फर्रुखाबाद में रेलवे ट्रैक पर लकड़ी का बड़ा टुकड़ा मिला…28 अगस्त को राजस्थान के बारां में रेलवे ट्रैक पर बाइक का एक स्क्रैप मिला…जिससे मालगाड़ी टकरा गई…30 अगस्त को तेलंगाना में रेलवे ट्रैक पर लोहे की रॉड मिली…इस दिन झारखंड के पलामू में रेलवे ट्रैक से 100 पेंड्रोल क्लिप चोरी कर ली गई….
अगर आप इसे समझें तो अगस्त का महीना मोदी सरकार का पसंदीदा रहा है…अगस्त महीने में ही 2019 में धारा 370 को निरस्त किया गया था..अगस्त महीने में ही 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन कर आधारशिला रखी थी…इसके अलावा 15 अगस्त की धूमधाम के बीच देश विरोधियों ने ऐसी घटनाओं की साजिश रची थी. ये घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं और अब 22 सितंबर तक करीब करीब हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबरें सामने आई हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन है रेल
जैसा कि आप जानते हैं कि ट्रेनें भारत की लाइफ लाइन है…देश की एक बड़ी आबादी ट्रेन से सफर करती है और देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने में भी ट्रेन का बहुत बड़ा योगदान है…भारत के रेलवे क्षेत्र की कुल रेल पटरी की लंबाई 126,366 किलोमीटर है, जिसमें 67,956 किलोमीटर मार्ग पर 7,335 स्टेशन हैं..वहीं, रेलवे प्रतिदिन लगभग 13,523 यात्री रेलगाड़ियां और 9,146 मालगाड़ियां चलाता है…हर दिन करीब 2.4 करोड़ से ज्यादा लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं..इसके अलावा 1.3 मिलियन यानी 13 लाख से अधिक कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे भारत का सबसे बड़ा तथा विश्व का आठवां सबसे बड़ा नियोक्ता है…
दुनिया में भारतीय रेलवे की मिशाल दी जाती है…रेलवे के महत्व को उकेरा जाता है…रेलवे समाज के हर तबके के लोगों का सहारा है….यह सब जानने और समझने के बावजूद शरारती तत्वों द्वारा ट्रेन के जरिए लोगों को निशाना बनाने वाले निश्चित तौर पर मानसिक दिवालियापन के शिकार हैं… या तो ऐसे लोगों के दिमाग में धर्मांन्धता के बीज डाल दिए गए हैं… या फिर इन्हें इस तरह से हेप्नोटाइज किया गया है कि इन्हें किसी भी चीज की सूझ बूझ ही नहीं है.
ऐसे मामलों में लाचार क्यों दिख रही है सरकार?
गौर फरमाइए कि भारत में एक ट्रेन में औसतन 22 से 24 डब्बे होते हैं और हर डब्बे में 150 से लेकर 300 लोग तक यात्रा करते हैं…ऐसे में अगर कोई रेल दुर्घटना होती है तो इससे कितनी बड़ी क्षति होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं….अगर दूसरे पहलू के जरिए इसे समझने का प्रयास करें तो देश की स्थिति पिछले कुछ समय में काफी बेहतर हुई है…सीमा पार आतंकवाद पर प्रहार से लेकर उनके समूल नाश तक के प्रयास हुए है…देश में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई बढ़ी है…एक एक कर एजेंसियां उन पर शिकंजा कसती जा रही है…
शायद यही चीज देश विरोधी पचा नहीं पा रहे हैं..यही कारण है कि अंदरुनी ताकतें देश को दहलाने की साजिश रच रही है…इसके अलावा कुछ सोशल मीडिया पर इसे लेकर तमाम संगठनों के ऊपर भी आरोप लग रहे हैं, जिन संगठनों पर सरकार लगाम लगाने का प्रयास कर रही है…हालांकि, सीधे तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. कुछ लोग इसके पीछे विदेशी ताकतों और आतंकी संगठनों का भी हाथ बता रहे हैं.
अगर इसके पीछे आतंकी संगठन हैं तो यह सरकार की विफलता है….क्योंकि सरकार लंबे समय से आतंकवाद के रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों पर अपनी पीठ थपथपाती आ रही है…
हालांकि, अब ऐसी घटनाओं को लेकर सरकार सख्त हो गई है. इन पर लगाम लगाने के लिए रेल मंत्रालय के अनुसार अब एक ट्रेन में कुल 8 कैमरे लगाए जाएंगे. रेल मंत्रालय पटरियों की सुरक्षा के लिए खुफिया तंत्र को और बेहतर बनाना चाहता है. सभी राज्यों के डीजीपी को रेलवे ट्रैक की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है. रेलवे ट्रैक की सुरक्षा और ट्रेन को हादसों से बचाने के लिए जल्द ही देशभर में ट्रेन के इंजन के सामने, कोच के कॉरिडोर में और ट्रेन के बाहर कैमरे लगाए जाएंगे. कैमरे लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाएगी.
रेलवे एक्ट में बदलाव की तैयारी में सरकार
आपको बता दें कि रेलवे एक्ट के मौजूदा प्रावधानों में रेलवे अधिनियम-1989 की धारा 151 के तहत रेल हादसे की साजिश सिद्ध होने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। अब सरकार इस अधिनियम में उपधारा जोड़कर इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने की तैयारी में है।
गृह मंत्रालय के खबरों के मुताबिक रेल पटरियों पर अवरोधक रखना हादसे की साजिश है। इससे यदि हादसा होता है और जानमाल का नुकसान होता है तो आरोपी के खिलाफ सामूहिक हत्या की धारा भी लग सकती है। वहीं, अगर अधिनियम में बदलाव हुआ तो उम्रकैद से लेकर मृत्यु दंड तक का प्रावधान हो सकता है। इसे लेकर कानूनी सलाह-मशविरा किया जा रहा है। जल्द ही इस बारे में नए प्रावधान अधिसूचित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
रेलवे ट्रैक पर मिल रहे अवरोधक और लगातार बढ़ रही इन घटनाओं के कारण लोगों के मन में डर बैठता जा रहा है…ट्रेन की यात्रा से पहले अब हर किसी के मन में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं…कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं है…देश में जब भी विकास की बात आती है तो मोदी सरकार और उनके समर्थकों द्वारा रेलवे का नाम लिया जाता है…वंदे भारत, बुलेट ट्रेन और न जाने क्या क्या गिना दिए जाते हैं…लेकिन जो चीज हमारे पास पहले से है उसे संवारने और उसे सुरक्षित संरक्षित करने के सरकार के प्रयास धरातल पर नजर नहीं आते …अब ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं तो सरकार ट्रेन में कैमरा लगाने के बारे में सोच रही है…हर बार कुछ होने के बाद ही अगर कदम उठाने हैं तो फिर मंत्रालय के इतने थिंक टैंक और सलाहकार समितियों का क्या ही फायदा? सबको निरस्त कर देना चाहिए और देश में घटनाओं के घटित होने का इंतजार करना चाहिए!