देश में जमाखोरी, कालाबाजारी और काले धन जैसे तमाम मुद्दों का हवाला देते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 500 और 1000 के नोटों पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद 500 और 2000 के नए नोट चलन में आए।
लेकिन अब खबर है कि बाजार से 2000 के नोट गायब होने लगे हैं। जिसे लेकर लोगों के जेहन में एक बार फिर से ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या आने वाले कुछ ही महीनों में 2000 के नोट बंद कर दिए जाएंगे?
इसी बीच 2000 के नोटों की छपाई को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ी जानकारी दी है। सरकार की ओर से लोकसभा में जानकारी दी गई है कि बीते दो साल से दो हजार के नोटों की छपाई नहीं हुई है। नोटों की छपाई न होने को लेकर सरकार ने वजह भी बताई है।
सरकार ने बताया कारण
बीते दिन सोमवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में बताया कि 2000 रुपये मूल्यम के एक भी करेंसी नोट की पिछले दो साल में छपाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा, नोटों की डिमांड-सप्लाई को बनाए रखने के लिए सरकार, रिजर्व बैंक की सलाह पर नोटों की छपाई पर फैसला लेती है।
अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट किया कि रिजर्व बैंक की तरफ से नोटों की कोई डिमांड नहीं की गई इसलिए नोटों की छपाई नहीं की जा रही है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा, 2019-20 और 2020-21 के दौरान 2000 रुपये के नोटों की छपाई को लेकर सरकार को कोई ऑर्डर नहीं मिला है।
उन्होंने बताया कि नोटों की जमाखोरी, कालाधन को रोकने के लिए 2000 के नोटों की छपाई पर रोक लगाई गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 30 मार्च 2018 को 2000 रुपए के तकरीबन 336.2 करोड़ नोट प्रचलन में थे। जबकि 26 फरवरी 2021 को 2000 रुपए के नोटों की संख्या केवल 249.9 करोड़ रह गई है।
अप्रैल 2019 के बाद से नहीं छापा गया एक भी नोट
बता दें, RBI के 2019 के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में 2000 रुपये के कुल 354.2991 करोड़ नोट छापे गए थे। जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में केवल 11.1507 करोड़ नोट छापे गए, जो बाद में वित्तए वर्ष 2018-19 में घटकर 4.6690 करोड़ रह गए। खबरों के मुताबिक अप्रैल 2019 के बाद से एक भी नया 2000 का बैंक नोट नहीं छापा गया है।