Anti Paper Leak Law: पेपर लीक पर सरकार ने अपनाया सख्त रुख, 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान

Anti-paper leak law implemented, provision of 10 years imprisonment and fine of Rs 1 crore
Source: Google

देशभर में नीट पेपर लीक और फिर यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द होने को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच सरकार ने पेपर लीक जैसे अपराधों से निपटने के लिए शुक्रवार (21 जून) की आधी रात को देश में एंटी पेपर लीक कानून (Centre notifies Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024) लागू कर दिया। केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में पास हुए कानून को शनिवार (22 जून) से लागू कर दिया है। इस एंटी पेपर लीक कानून का मकसद प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल को रोकना है। इस कानून के तहत अपराधियों को अधिकतम 10 साल की कैद और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। आइए आपको इस कानून के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम को इस साल 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा ने पारित किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को इस विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून बन गया।

सजा का प्रावधान

नीट और यूजीसी-नेट जैसी परीक्षाओं में अनियमितताओं के बीच इस कानून को लाने के फैसले को सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कानून के तहत पेपर लीक करने या आंसर शीट से छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल की जेल की सजा होगी। इसे 10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है। जुर्माना न भरने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार कारावास की अतिरिक्त सजा दी जाएगी।

 

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अगर परीक्षा आयोजित करने के लिए नियुक्त सेवा प्रदाता दोषी पाया जाता है, तो उस पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। अगर सेवा प्रदाता अवैध गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो परीक्षा का खर्च उससे वसूला जाएगा। साथ ही, सेवा प्रदाता को 4 साल की अवधि के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन की जिम्मेदारी से भी वंचित किया जा सकता है।

यदि कोई संस्था संगठित अपराध में संलिप्त पाई जाती है, तो उसकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी तथा जांच की आनुपातिक लागत भी उससे वसूल की जाएगी।

यदि अपराध सेवा प्रदाता फर्म के किसी निदेशक, वरिष्ठ प्रबंधन या प्रभारी व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत से किया जाता है, तो उन्हें तीन से 10 वर्ष की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

इन परीक्षाओं पर लागू होगा यह कानून

इस कानून में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS) और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की परीक्षाएं शामिल होंगी। केंद्र के सभी मंत्रालयों और विभागों की भर्ती परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में होंगी। इसके तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।

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