पश्चिम बंगाल (West Bengal Election 2021) की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है। प्रदेश के 30 विधानसभा सीटों पर 1 अप्रैल को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार में लगी है। इस चुनाव में बीजेपी नेता लगातार 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल करने की कोशिशों में लगी है। 1 अप्रैल को प्रदेश की सबसे हाइप्रोफाइल सीट नंदीग्राम में भी विधानसभा चुनाव होने वाला है। इस सीट पर बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी और टीएमसी की ममता बनर्जी के बीच करारी टक्कर है।
आज दूसरे चरण के चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को अंतिम स्वरुप देने में लगी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज नंदीग्राम में सुवेंदु अधिकारी के समर्थन में रोड शो किया। तो वहीं, ममता बनर्जी ने भी व्हीलचेयर पर पदयात्रा निकाली है। सीएम बनर्जी आज कुल 4 रोड और जनसभा करने वाली है।
नंदीग्राम पर रहा है TMC का कब्जा
नंदीग्राम विधानसभा सीट पर काफी पहले से ही TMC का आधिपत्य रहा है। साल 2007 में हुए नंदीग्राम आंदोलन से टीएमसी को धार मिली थी और ममता बनर्जी लाइम लाइट में आई। जिसके बाद 2009 में हुए उपचुनाव में टीएमसी नेता फिरोजा बीबी ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से शानदार जीत हासिल की।
फिर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2011 में भी इस सीट पर टीएमसी को जीत मिली थी। तब टीएमसी ने ममता बनर्जी के नेतृत्व में प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।
वहीं, पश्चिम बंगाल चुनाव 2016 में नंदीग्राम विधानसभा सीट से सुवेंदु अधिकारी ने टीएमसी की टिकट पर ही जीत हासिल की थी। लेकिन अब वह बीजेपी की टिकट पर चुनावी दंगल में है। जबकि टीएमसी की ओर ममता बनर्जी इस बार अधिकारी को टक्कर दे रही है।
नंदीग्राम सीट पर इस बार बंगाल के साथ-साथ पूरे देश की नजर टिकी हुई है। सुवेंदु अधिकारी लगातार ममता बनर्जी को मात देने की बात कहते आ रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि अगर वह ममता बनर्जी को 50 हजार से ज्यादा वोटों से मात नहीं दे पाते हैं तो राजनीति छोड़ देंगे।
नंदीग्राम में 70 फिसदी हिंदू
बता दें, नंदीग्राम विधानसभा सीट पर हिंदुओं की आबादी 70 फीसदी के करीब है। जबकि शेष आबादी मुस्लिम और अन्य समुदायों की है। मेदिनीपुर के अंतर्गत आने वाला यह इलाका अधिकारियों का गढ़ बताया जाता है। खबरों के मुताबिक हिंदु बहुल इलाके की इस सीट पर बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगा रही है। बताया जा रहा है कि राज्य में हिंदू वोटरों को साधने की हर मुमकिन कोशिश भी की जा रही है।
वहीं, दूसरी ओर ममता बनर्जी का नंदीग्राम से काफी पुराना नाता रहा है। नंदीग्राम आंदोलन में हिस्सा लेकर और इस आंदोलन को ही हथियार बनाकर ममता बनर्जी ने साल 2011 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तत्कालीन लेफ्ट सरकार को नेस्तनाबूत कर दिया था। और तब से ही प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाल रही है। इस बार लड़ाई कांटे की है। ऐसे में प्रदेश की सियासत में स्थिति क्या होगी, यह 2 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही सामने आ जाएगा।