नियमों का उल्लंघन कर सेवा से बर्खास्तगी और जातीय उत्पीड़न के खिलाफ 135 दिनों से अधिक समय तक आंदोलन करने वाली दलित प्रोफेसर डॉ. रितु सिंह को जनवरी में दिल्ली पुलिस की क्रूर कार्रवाई का सामना करना पड़ा। मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने प्रदर्शन स्थल पर तोड़फोड़ की और सामान जब्त कर लिया। कथित तौर पर बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर फाड़ दी और आधा दर्जन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान प्रदर्शन को कवर करने गए पत्रकारों को भी कुछ देर के लिए हिरासत में रखा गया। इसके बाद सोशल मीडिया पर #JusticeForDrRitu ट्रेंड करने लगा। ये मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि फरवरी में रितु को फिर से पुलिस का सामना करना पड़ा, हालांकि इस बार मामला कुछ और था।
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बाबा साहब के झंडे को लेकर हुआ विवाद
ऋतू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह एक पुलिस अधिकारी से पूछती नजर आ रही हैं कि बाबा साहेब के झंडे का अपमान क्यों किया गया और उन्हें झंडा नीचे रखने के लिए क्यों कहा गया। दरअसल ये घटना बुराड़ी थाने के बाहर की है। जब ऋतू अपने कुछ समर्थकों के साथ वहां आई थीं, तब सिविल ड्रेस पहने एक सरकारी अधिकारी ने ऋतू के समर्थक से अपने हाथ में पकड़े हुए झंडे को नीचे करने के लिए कहा, जिस पर बाबा अंबेडकर का चेहरा बना हुआ है। जिस पर ऋतू विरोध करती हैं और कहती हैं कि यहां तो और भी झंडे हैं, फिर आप हमें अपना झंडा नीचे करने के लिए क्यों कह रहे हैं। जिसके बाद वह सरकारी अधिकारी कथित तौर किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे की ओर देखकर कहता है कि, “क्या तुम्हें पता है ये झण्डा किसका है?” यह सुनने के बाद ऋतू भड़क जाती है और कर्मचारी से भिड़ जाती है। ऋतू बुराड़ी पुलिस को बुलाती है और उनसे पूछती है कि सिविल वर्दी में इस आदमी के पास किस अधिकार से पुलिसिया रौब है और वह हमसे अंबेडकर की तस्वीर हटाने के लिए क्यों कह रहा है। बस इसी बात को लेकर ही बुरारी पुलिस और ऋतू का विवाद शुरू हो जाता है। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग ऋतू का जमकर समर्थन कर रहे हैं। लोगों ने पुलिस पर तानाशाही करने और बाबा साहब का अपमान करने का आरोप लगाया है।
कौन है डॉ. ऋतु सिंह?
डॉ. ऋतु सिंह डीयू की दलित प्रोफेसर हैं। वह डीयू के दौलत राम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में तदर्थ शिक्षिका रही हैं। करीब चार साल पहले रितु ने प्रिंसिपल डॉ. सविता रॉय पर जातिगत भेदभाव के गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि, उन्होंने ये आरोप तब लगाए जब उन्हें कथित अभद्र आचरण के लिए कॉलेज से बाहर निकाल दिया गया था। उन्होंने कहा था कि जातिगत भेदभाव के कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था। करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने के बाद उन्हें हटा दिया गया। दरअसल, ऋतु सिंह 2019 में एससी वर्ग के तहत वैकेंसी निकलने पर मनोविज्ञान विभाग में अस्थायी प्रोफेसर बनी थीं। अपना कांट्रैक्ट समाप्त होने से पहले उन्होंने एक साल तक कॉलेज में पढ़ाया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जाति-आधारित भेदभाव के कई उदाहरणों का अनुभव किया है और आरोप लगाया कि पद से उनकी बर्खास्तगी प्रिंसिपल के नस्लीय भेदभावपूर्ण रवैये से प्रभावित थी। 2020 से, वह एक लंबे कानूनी संघर्ष में लगी हुई हैं और कई प्रदर्शनों के समन्वय में सक्रिय रूप से भाग लिया है।