कोरोना महामारी की दूसरी लहर से अब काफी राहत मिलती हुई नजर आ रही हैं। देश में दूसरी लहर की पीक के दौरान केस 4 लाख के पार तक पहुंच गए थे। वहीं अब ये घटकर 50 हजार के भी नीचे आ गए हैं। भले ही दूसरी लहर का खतरा कम हो रहा हो, लेकिन इस बीच थर्ड वेव को लेकर डर भी लगातार बना हुआ है।
बहुरूपिया कोरोना बार-बार अपने रूप बदलकर टेंशन बढ़ा रहा है। अब डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से चिंता और ज्यादा बढ़ गई। डबल म्यूटेंट यानी डेल्टा वेरिएंट की ही वजह से देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते भयंकर तबाही मची थीं। अब उसका भी प्लस वेरिएंट सामने आ चुका है। कोरोना का इस डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले देश के कई राज्यों में रिपोर्ट हो चुके हैं। एक्सपर्ट इसे देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की वजह भी मान रहे हैं।
तो ऐसे में, आइए हम आपको कोरोना के इस डेल्टा प्लस वेरिएंट से जुड़ी वो पूरी जानकारी आपको दे देते हैं, जिसके बारे में आपके लिए जानना जरूरी हैं…
डेल्टा प्लस वेरिएंट है क्या?
डेल्टा प्लस वेरिएंट कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का ही विकसित रूप बताया जा रहा है। डेल्टा वेरिएंट मतलब B.1.617.2 स्ट्रेन। ये स्ट्रेन सबसे पहले भारत में ही मिला था। WHO ने इसको डेल्टा वेरिएंट का नाम दिया। अब वायरस के इसी स्ट्रेन में म्यूटेन हुआ। इस म्यूटेशन को K417N भी कहा जा रहा है।
देश के किन राज्यों में पहुंचा ये वेरिएंट?
देश में कुछ राज्यों में अब तक डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं। इस वेरिएंट के फिलहाल सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र हैं। यहां इसके 21 केस सामने आ चुके हैं। वहीं केरल में तीन और एमपी के भोपाल में एक डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले की अब तक पुष्टि हुई है।
वैक्सीन पर असर डाल रहा वायरस?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ये वेरिएंट वैक्सीन को भी बेअसर कर देगा? WHO के महामारी एक्सपर्ट ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया। उनके मुताबिक डेल्टा वेरिएंट की वजह से वैक्सीन का कम होता दिख रहा है। हां, ये जरूर है कि वैक्सीन की वजह से कोरोना होने पर ज्यादा गंभीर असर नहीं हो रहा। साथ में ये मौत जैसी स्थिति से बचाने में भी वैक्सीन कारगर है। WHO के अधिकारी ने मुताबिक आगे आने वाले दिनों में कोरोना के ऐसे नए म्यूटेंट एक्टिव हो सकते हैं, जिनके चलते वैक्सीन0 का असर कम हो सकता है।
इसके अलावा देश के जाने माने वॉयरोलॉजिस्ट प्रोफेसर शाहिद जमील ने भी इस बात का अंदेशा जताया कि ये डेल्टा प्लस वेरिएंट इम्यूनिटी और वैक्सीन के असर को तो कम कर ही सकता है। साथ में इंफेक्शन की वजह से बन रही इम्युनिटी को भी धोखा दे सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत नहीं मिले कि ये वेरिएंट और ज्यादा संक्रामक है।
…तो इससे डरने की जरूरत है?
नीती आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल के मुताबिक अभी देश में ये वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC) नहीं बना। ये वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है इसकी भी रिसर्च की जरूरत है। हालांकि एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इस वेरिएंट को हल्के में भी लेने की जरूरत नहीं, क्योंकि वायरस बार बार रूप बदलकर तबाही मचा रहा है। वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंफेक्ट करना चाहता है।