महंगाई, किसान आंदोलन और कानून व्यवस्था समेत कई मुद्दों पर इन दिनों देश की सियासत में भूचाल मचा हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर लगभग तीन महीनें से प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी तक 200 से ज्यादा किसानों के मौत की खबर भी सामने आई है।
बीजेपी शासित कई राज्यों में बजट सत्र चल रहा है। जहां इस मुद्दे को विपक्षी पार्टियों की ओर से जोर-शोर से उठाया जा रहा है। वहीं, सत्ताधारी पार्टी की ओर से भी लगातार प्रतिक्रियाएं दी जा रही है। पिछले दिन बीजेपी शासित यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कृषि कानूनों के हवाले विपक्षी पार्टियों पर हमला बोला था।
जिसपर अब समाजवादी पार्टी के मुखिया और प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने प्रदेश की सियासत में अब बाहरी और भीतरी का जिक्र कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।
अखिलेश ने सीएम योगी पर बोला हमला
यूपी के पूर्व सीएम ने कहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के रहने वाले नही हैं। वह दूसरे प्रदेश से आए हैं, लेकिन फिर भी यहां की जनता ने उन्हें स्वीकार किया है और प्रदेश की जनता को उन्हें धन्यवाद देना चाहिए। अखिलेश यादव ने विधानसभा में कृषि कानून और किसान आंदोलन पर सीएम योगी के प्रतिक्रिया को भी आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अन्नदाता की खुशहाली दलालों को रास नहीं आ रही है। इतना बड़ा धोखा और इतना बड़ा झूठ, कोई सदन में कैसे बोल सकता है, मैं उनसे जानना चाहता हूं कि उनकी सरकार ने कितने किसानो को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवा पायी है।‘
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आगे कहा, ‘मैं उनसे जानना चाहता हूं कि क्या उनकी सरकार गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, संतकबीर नगर, बस्ती, गोंडा और फैजाबाद जिलों में किसानों को क्या धान की MSP दिला पायी है। किसी जिले में किसानों को दिला पाए हैं। पूरे प्रदेश में किस-किस किसान को कितना MSP दिया गया है, हम जानना चाहते हैं कि धान की क्या कीमत दी है आपने?’
सीएम योगी ने विपक्ष को लिया था निशाने पर
बता दें, बीते दिन शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा था कि अन्नदाता किसान को धोखा देकर ‘दलाली’ करने वाले लोग आज जरूर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पैसा सीधे उनके (किसानों) खातों में क्यों जा रहा है। आज तो पर्ची भी किसानों के स्मार्ट फोन पर प्राप्त हो रही है। घोषित ‘दलाली’ का जो जरिया था वह भी समाप्त हो गया है।’
गौरतलब है कि किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी पार्टियों की ओर से लगातार केंद्र सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। किसान नेताओं और सरकार के मंत्रियों के बीच 11 दौरे की बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा अभी भी काफी दूर दिख रहा है। दोनों पक्षों के बीच अंतिम बातचीत 23 जनवरी को हुई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ ही दिनों दोबारा बातचीत शुरु हो सकती है।