उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अकबरनगर में चल रहा ध्वस्तीकरण का काम पूरा हो गया है। 9 दिनों तक चले इस अभियान में लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने 24.5 एकड़ में बने करीब 1800 अवैध मकान, दुकानें और कॉम्प्लेक्स ध्वस्त कर दिए हैं। इसके साथ ही उन धार्मिक स्थलों पर भी बुलडोजर चलाया गया है जिन्हें पहले नहीं छुआ गया था। इलाके में चारों तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा दिखाई दे रहा है। हालांकि, सुरक्षा के लिए भारी पुलिस और पीएसी के जवान तैनात हैं।
अकबरनगर इलाका खाली कराया गया
प्रशासन के मुताबिक कुकरैल नदी की जमीन पर अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया है। यहां अवैध रूप से बने 1169 मकान और 101 व्यावसायिक निर्माण ध्वस्त किए गए हैं। अकबरनगर में ध्वस्तीकरण अभियान पूरा हो चुका है। अब मलबा हटाया जा रहा है। दिसंबर 2023 से अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू हुआ था। दरअसल कुकरैल नदी की जमीन पर लोगों ने कब्जा कर कॉम्प्लेक्स, शोरूम, दुकानें और बड़ी संख्या में मकान बना लिए थे। शासन की ओर से जब कुकरैल नदी के सुंदरीकरण का आदेश आया तो सर्वे में पता चला कि पूरा अकबरनगर नदी की जमीन पर बसा है। इसके बाद एलडीए ने ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किया। नोटिस के बाद भी कोई भी भूस्वामी जमीन के मालिकाना हक का दस्तावेज पेश नहीं कर पाया, जिसके बाद एलडीए ने ध्वस्तीकरण का आदेश पारित कर दिया। अदालत के आदेश के बाद 10 जून को बुलडोजर इलाके में पहुंचा और ध्वस्तीकरण का काम 18 जून तक जारी रहा।
अब इस जमीन का क्या होगा?
मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार कुकरैल नदी के किनारे रिवर फ्रंट बनाकर इको टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहती है। इसके अलावा लखनऊ में स्थित चिड़ियाघर को भी शिफ्ट करने की योजना है। आपको बता दें कि अकबरनगर के लोगों ने अपने मकानों को टूटने से बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। बुलडोजर की कार्रवाई को रोकने के लिए वे हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए। लेकिन राहत नहीं मिली। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने यह कार्रवाई की।
सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट कुकरैल नदी पर रिवरफ्रंट लखनऊ में विकास की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में विकसित हो रहा है। इस परियोजना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और कोई भी अधिकारी इसके क्रियान्वयन में लापरवाही नहीं बरतना चाहता। रिवरफ्रंट योजना के अनुसार कुकरैल नदी में वर्षा जल को एकत्र करके जमा किया जाएगा। इसके अलावा, नदी का जलस्तर बनाए रखने के लिए शारदा नहर से पानी नदी में छोड़ा जाएगा। नदी की 6 किलोमीटर लंबाई में एक झील भी बनाई जाएगी।