पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है। राज्य की सत्ताधारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सत्ता में वापसी की कोशिशों में लगी है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस के अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।
दोनों ही नेता अपने रुख से पीछे हटने और एक दूसरे के साथ आने के लिए तैयार नहीं है। इस मामले का समाधान निकालने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय पैनल बनाया था।
पैनल ने राज्य के सीएम अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू समेत पार्टी के सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात की थी और मामले का निपटारा करने का प्रयास किया था। लेकिन दोनों ही नेताओं के बीच दूरियां लगातार बढ़ती जा रही है। इसी बीच शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने नवजोत सिंह सिद्धू पर तंज कसा है।
‘…कंट्रोल में नहीं है सिद्धू’
सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि सिद्धू एक गुमराह मिसाइल हैं जो कंट्रोल में नहीं है…जो खुद किसी भी दिशा में हिट कर सकती है। उन्होंने कहा, आज पंजाब को एक्टिंग करने वाले नहीं बल्कि राज्य के विकास के बारे में सोचने वाले लोगों की जरुरत है।
दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू काफी पहले से प्रदेश कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे हैं। वह कई बार तमाम मुद्दों पर अपनी ही पार्टी की सरकार को निशाने पर ले चुके हैं। वहीं, दूसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी खासा नाराज बताए जा रहे हैं।
उन्होंने पैनल के सामने जमकर सिद्धू को निशाने पर लिया था। पैनल से मुलाकात के दौरान कैप्टन ने स्पष्ट कर दिया है कि सिद्धू को न ही पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है और न ही डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।
मजबूत जनाधार वाले हैं दोनों नेता
जिसपर पलटवार करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि कैप्टन कौन होते हैं पार्टी में मेरे लिए दरवाजा बंद करने वाले। तब उन्होंने पंजाब सरकार से उनके कामकाज का रिपोर्ट कार्ड मांगने के साथ ही कैप्टन को चुनौती भी दे दी थी। पिछले दिनों पंजाब की राजनीति में इस बात की खबरें जोर पकड़ रही थी कि सिद्धू जल्द ही पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात कर सकते हैं।
लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया है कि उनकी सिद्धू के साथ कोई मीटिंग नहीं है। बताते चले कि राज्य में फरवरी-मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले पार्टी में मची भगदड़ कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन गई है।
सिद्धू और कैप्टन दोनों ही पार्टी के लिए मजबूत जनाधार वाले बड़े नेता हैं। ऐसे में इन दोनों के बीच मची कलह को शांत करने के लिए कांग्रेस पार्टी क्या कदम उठाएगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है।