प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में स्थानीय निकाय चुनावों का बिगुल बज चुका है। राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में लगी हुई है। आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी शुरु हो चुके हैं। पिछले दिनों पीएम मोदी की भतीजी ने भी बीजेपी की टिकट पर निकाय चुनाव में हिस्सा लेने की इच्छा जताई थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। जिसके बाद पीएम मोदी के भाई प्रहलाद मोदी ने कई तरह के सवाल भी उठाए थे।
दूसरी ओर किसान आंदोलन की गूंज गुजरात से लेकर असम तक सुनाई दे रही है। किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 74 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस किसानों को बॉर्डर पर ही रोकने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रही है। आंदोलन वाले इलाकों में कंटीले तार के साथ-साथ सड़क में किले भी लगाई गई है।
जिसकी तस्वीरे पिछले दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही थी। इसी बीच हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है।
पीएम मोदी चीन का नाम तक नहीं लेते
गुजरात के निकाय चुनावों में ओवैसी की पार्टी पहली बार अपनी किस्मत आजमाने उतरी है। AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) खुद चुनाव प्रचार में लगे हैं। बीते दिन रविवार को गुजरात के भरुच में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने किसान आंदोलन के साथ-साथ लद्दाख के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
ओवैसी ने कहा, ‘अगर आपने लद्दाख में कीलें लगांई होती तो चीनी सैनिक भारत में नहीं घुसे होते। आपने लद्दाख में कीलें नहीं लगाई, जहां भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए। अगर आपका सीना 56 इंच का होता तो आप चीन को सबक सीखा चुके होते। मोदीजी ने एक बार भी चीन का नाम तक नहीं लिया। वह सभी लोगों का और सभी चीजों का नाम लेंगे लेकिन चीन का नहीं।‘
तीन कृषि कानून भारत के संविधान के खिलाफ
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए कृषि कानूनों को लेकर भी जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा, तीन कृषि कानून भारत के संविधान के खिलाफ है क्योंकि कृषि राज्य का विषय है इसलिए ऐसे में केंद्र का राज्य के विषय में कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून का विरोध कर रहे किसानों को खालिस्तानी कहा जा रहा है और आदिवासी-दलितों को नक्सली और मुस्लिमों को जिहादी बताया गया।‘