क्या उत्तर प्रदेश के आगरा में मौत की मॉक ड्रिल की गई? क्या 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई को रोका गया, जिसकी वजह से 22 लोगों की जान चली गई? ये मामला इस वक्त जबरदस्त सुर्खियों में है। दरअसल, विपक्ष के प्रमुख नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसको लेकर ट्वीट किया। यही नहीं कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी एक वीडियो शेयर कर सीएम योगी और पीएम मोदी पर बरसीं। आइए आपको इस मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं…
राहुल-प्रियंका ने सरकार को घेरा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए किया। उन्होंने कहा- “भाजपा शासन में ऑक्सीजन व मानवता दोनों की भारी कमी है। इस खतरनाक अपराध के जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए। दुख की इस घड़ी में मृतकों के परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं।”
वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक वीडियो शेयर की। अपनी ट्वीट में कांग्रेस महासचिव ने पीएम मोदी, सीएम योगी और मंत्री के बयानों का जिक्र किया। साथ में इस मामले को लेकर पूछा कि आखिर जिम्मेदार कौन है?
प्रियंका ने अपनी ट्वीट में लिखा- “PM: मैंने ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी। CM: ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं। कमी की अफवाह फैलाने वालों की संपत्ति जब्त होगी। मंत्री: मरीजों को जरूरत भर ऑक्सीजन दें। ज्यादा ऑक्सीजन ना दें। आगरा अस्पताल: ऑक्सीजन खत्म थी। 22 मरीजों की ऑक्सीजन बंद करके मॉकड्रिल की। जिम्मेदार कौन?”
क्या है ये पूरा मामला?
मामला आगरा के पारस अस्पताल का बताया जा रहा है। इस अस्पताल में 26 अप्रैल तक 96 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती थे। ये वो वक्त था जब देश में कई जगहों पर ऑक्सीजन की भारी कमी हो रही थीं। पारस अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थीं, जिसकी वजह से डॉक्टर परेशान हो गए।
इस घटना के कुछ वीडियो अब सामने आए है, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है। वीडियो में डॉक्टर ये कहते नजर आ रहे है कि 26 अप्रैल को सुबह 7 बजे 5 मिनट के लिए मॉक ड्रिल की और ऑक्सीजन की सप्लाई को बंद कर दिया गया था, जिसके चलते 22 कोरोना मरीजों की मौत हो गई। इस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया है।
वीडियो में ये बोलते नजर आ रहे डॉक्टर
वीडियो में कथित रूप से डॉ. जैन बोलते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन वो दिख नहीं रहे। डॉ. अरिन्जय जैन बता रहे हैं कि 25-26 अप्रैल को हालात बेकाबू हो गए थे। मैंने बॉस से बात की। उन्होंने कहा कि पेशेंट को डिस्चार्ज करना शुरू कर दो। ऑप्शन कही नहीं है। मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन मुहैया नहीं करा सकते।”
‘पता चल जाएगा..कौन मरेगा और कौन नहीं’
आगे डॉ. कहते हैं- ‘हाथ-पैर फूल गए। कुछ लोगों को व्यक्तिगत तौर पर समझना शुरू किया। समझो बात को, तो वो भी पेंडुलम बने रहे…नहीं जाएंगे, नहीं जाएंगे। मैंने कहा कोई नहीं जा रहा, तो छोड़ो और अब उन लोगों को छांटों जिनकी ऑक्सीजन बंद हो सकती है। एक ट्रायल करो..मॉक ड्रिल करके देखो। पता चल जाएगा कौन मरेगा और कौन-सा नहीं। फिर मॉक ड्रिल करके देखी, सुबह 7 बजे। फिर छंट गए 22 मरीज…5 मिनट में। मॉक ड्रिल के दौरान मरीज छटपटा गए और उनका शरीर नीला पड़ गया। 74 बचे, जिनके परिजनों से ऑक्सीजन लाने को कहा।”
सफाई में क्या बोले डॉक्टर?
वहीं इन वीडियो के सामने आने के बाद डॉ. अरिन्जन जैन की तरफ से सफाई दी गई। उन्होंने कहा कि वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। वीडियो 28 अप्रैल की है। मॉक ड्रिल का मतलब मरीजों में ऑक्सीजन की खपत जांचना था। ऑक्सीजन को बंद नहीं किया गया और 22 मरीजों की मौत नहीं हुई।
वीडियो के जांच के आदेश
वायरल वीडियो को लेकर जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इसको लेकर आगरा के डीएम ने कहा कि 26-27 अप्रैल को ऑक्सीजन की कुछ कमी हुई थीं। हालांकि हमने 48 घंटों के अंदर सामान्य कर लिया गया था। 26 अप्रैल को पारस अस्पताल में 4 मरीजों की मौत हुई थीं, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं। 22 मौतों की बात सच नहीं, लेकिन फिर भी इसकी न्यायिक जांच कराई जाएगी।
पिछले साल भी दर्ज हुआ था केस
बता दें कि ये वहीं पारस अस्पताल है, जिस पर बीते साल अप्रैल में महामारी फैलाने को लेकर केस दर्ज हुआ था। ये मामला अस्पताल के संचालक डॉ. अरिन्जय जैन और प्रबंधक के खिलाफ दर्ज किया गया था। इसके बाद अस्पताल में 10 महीनों तक कोरोना के मरीजों के भर्ती करने पर रोक लग गई थीं। अप्रैल 2021 में ही फिर से पारस अस्पताल को कोविड मरीज भर्ती करने की इजाजत दी गई थीं।