अकबरनगर के बाद अब अबरारनगर की बारी, LDA ने शुरू किया सर्वे, जल्द चलेगा बुलडोजर

After Akbarnagar, now it is Abrarnagar's turn,
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कुकरैल नदी की जमीन पर अवैध निर्माण कर बनाए गए अकबरनगर में बुलडोजर चलाने के बाद  अब सिर्फ मलबा ही बचा है। महज नौ दिन में अकबरनगर में अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए गए। अकबरनगर के बाद अब खुर्रम नगर में कुकरैल नदी के किनारे बसे अबरारनगर की बारी है। मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ के अकबरनगर की तरह अबरारनगर में बने करीब 500 अवैध मकानों को ध्वस्त करने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए गुरुवार को एलडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ अबरारनगर, खुर्रमनगर, रहीमनगर, पंतनगर और जसवंतनगर में सर्वे शुरू किया। दावा किया जा रहा है कि इन मोहल्लों में करीब 1000 घर कुकरैल नदी की जद में आ सकते हैं। एलडीए का कहना है कि ये मकान कुकरैल नदी क्षेत्र में अवैध तरीके से बनाए गए हैं।

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अबरार नगर में 800 से ज्यादा मकान हैं। तोड़े जाने वाले मकानों में 100 से ज्यादा मकान ऐसे हैं जिनकी कीमत और संपत्ति की कीमत दो करोड़ रुपए से ज्यादा है। बताया जा रहा है कि यहां ज्यादातर मकान कुकरैल नदी की जमीन पर बने हैं। हालांकि, कई मकान दो से तीन दशक पुराने हैं। फिलहाल यहां जमीन का रेट 5000 रुपए प्रति वर्ग फीट से ज्यादा है।

तीन करोड़ तक की लागत से बने हैं मकान

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, कई घर ऐसे हैं जो 50 लाख से लेकर 3 करोड़ की लागत से बने हैं। कुछ घर तो 40 से 50 साल पुराने हैं। स्थानीय लोग सरकार से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर सरकार के लोग हमारी तरह गरीब होते तो क्या वे घर उजड़ने का दर्द समझ पाते?

खबरों की मानें तो अबरारनगर में हाईकोर्ट के वकील और कई रिटायर्ड जज भी रहते हैं। इसके अलावा पुलिस और कई पीसीएस अफसरों ने भी यहां मकान बना रखे हैं। कई लोगों के पास जमीन की रजिस्ट्री के कागजात भी हैं।

LDA ने दिया अल्टीमेटम

खबरों के मुताबिक एलडीए की टीम यहां आकर सिर्फ 3 दिन में मकान खाली करने का अल्टीमेटम दे चुकी है। हालांकि अभी तक किसी को नोटिस नहीं मिला है। लोग नोटिस का इंतजार कर रहे हैं। जिसके बाद वे कानूनी कार्रवाई पर विचार करेंगे। लोगों का कहना है कि हम चुप नहीं बैठेंगे और अपनी बात हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। यहां 3 मस्जिदें और एक मदरसा है। इसके अलावा 200 से ज़्यादा ऐसे घर हैं जिनकी कीमत, ज़मीन और निर्माण को मिलाकर कम से कम 1 करोड़ रुपए से ज़्यादा है।

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