सरकार की तरफ से मिलने मुफ्त राशन की पोल खोलता हुआ एक मामला बस्ती से सामने आया है। दरअसल, बस्ती में कोटे की दुकानों से गरीबों को दिए जा रहे नमक में बालू और मोरंग मिला है। कई लोगों ने इसकी शिकायत की। जब नमक के पैकेट में मोरंग और बालू मिलने की शिकायतें सामने आई, तो इसकी सच्चाई जानने की कोशिश हुई, जिसमें इनकी पुष्टि हुई। नरहरिया, चिकवा टोला मोहल्ले में सरकारी नमक का पैकेट लेकर उसे पानी में डालकर घोला गया। जिसके बाद उसे छाना गया तो उसमें मोरंग और बालू मिला।
नमक की आपूर्ति सरकार को नेफेड भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ नाम की संस्था कर रही है। नमक के पैकेट पर खाद्य सुरक्षा गारंटी की मुहर लगी है। ये केवल सरकारी आपूर्ति के लिए ही है। नमक गरीबों को योजना के तहत बांटा जा रहा है। पीएम मोदी और सीएम योगी की फोटो भी नमक के हर पैकेट पर लगी है। साथ ही साथ इस पर ‘सोच इमनदार, काम दमदार’ का स्लोगन भी लिखा है। लेकिन मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा ये सरकारी नमक उन गरीबों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जो इसका इस्तेमाल करते है।
मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार तक पर सवाल उठ रहे है। आखिर कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा? सरकार गरीबों को मुफ्त राशन बांटकर अपना प्रचार तो खूब कर रही है, लेकिन क्या ये सही में उनके लिए फायदेमंद है? जो कंपनी ऐसा नमक दे रही है, उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? क्या सरकार की ये जिम्मेदारी नहीं कि वो अगर गरीबों के लिए कुछ मुफ्त में उपलब्ध करा रही है, वो सही हो, उनके लिए सेहतमंद हो। ना कि इससे उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचे।
वैसे इस मामले को लेकर जब जिला पूर्ति अधिकारी सत्यवीर सिंह से बात की गई, तो उन्होंने मामला को गंभीर है इसकी जांच करवाने की बात कही। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि आरोप सही साबित हुए तो आपूर्ति रोकवा दी जाएगी।