तमाम आरोपों और सवालों के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गौतम अडानी के अडानी ग्रुप पर मेहर बरसा रही है। अब सरकार की तरफ से गंगा एक्सप्रेस वे का काम अडानी ग्रुप को सौंप दिया है। एक्सप्रेस वे का 80 फीसदी हिस्सा पूरा करने का जिम्मा सरकार ने अडानी ग्रुप को दिया। इसके लिए केंद्र ने बाकायदा स्वीकृति पत्र भी जारी कर दिया, जिसके मुताबिक एक्सप्रेस वे की 594 किलोमीटर की लंबाई में से कंपनी 464 किमी का निर्माण करेगी।
अडाणी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को एक्सप्रेसवे के तीन प्रमुख हिस्सों के क्रियान्वयन को लेकर स्वीकृति पत्र मिला। यूपी के एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी ने ये स्वीकृति पत्र अडानी ग्रुप को दिया। परियोजना की कुल लागत 17 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। ये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत देश की किसी प्राइवेट कंपनी को दी गई, अब तक की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना है।
बीते दिनों ही पीएम मोदी ने शाहजहांपुर में इस गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास किया। गंगा एक्सप्रेस वे मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा। डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण के आधार पर लागू होने वाला गंगा एक्सप्रेस वे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा। अडाणी इंटरप्राइजेज ने बताया कि वो तीन हिस्सों में 6 लेन के एक्सप्रेसवे का निर्माण करेगी, जिसको आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। रियायत की अवधि 30 साल होगी। बताया गया है कि 594 किमी. लंबा ये जो एक्सप्रेस बनाया जा रहा है, उसमें से अडाणी एंटरप्राइजेज बदायूं से प्रयागराज तक 464 किलोमीटर का निर्माण करेगी, जो इस परियोजना का 80 प्रतिशत हिस्सा है।
ये गंगा एक्सप्रेस वे मेरठ के बिजौली गांव के पास से शुरू होगा और फिर प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव तक जाएगा। एक्सप्रेस-वे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर के साथ ही अमरोहा से भी होकर गुजरेगा। गंगा एक्सप्रेस-वे संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली के रास्ते प्रतापगढ़ से होते हुए प्रयागराज तक जाएगा। एक्सप्रेसवे के लिए फिलहाल 94 प्रतिशत जमीन खरीदी प्रक्रिया की जा चुकी है।