देश में कोरोना के मामलों में एकाएक जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल रही है। कुछ ही दिनों में कोरोना केस एक लाख के आंकड़ें को भी पार कर गए। हालात इस वक्त बेकाबू होते जा रहे है। कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट ने दहशत बढ़ाई हुई है। हालांकि ये वेरिएंट उतना खतरनाक नहीं माना जा रहा, जितना डेल्टा वेरिएंट था। इसकी वजह ये है कि ये कम जानलेवा है।
लेकिन इस वेरिएंट को ज्यादा हल्के में लेना भी सही नहीं। खासतौर पर उन लोगों ने जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई। दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं ली, उनके लिए ओमीक्रोन खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा मुंबई के आंकड़े को देखने हुए कहा जा रहा है। दरअसल, मुंबई में उन संक्रमितों को ऑक्सीजन सपोर्ट की ज्यादा जरूरत पड़ रही है, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया। बृहन्मुंबई नगरपालिका BMC के मुखिया ने इसकी बारे में बताया
BMC कमिश्नर इकबाल चहल ने 6 जनवरी तक के आंकड़े को देखते हुए कहा कि ऑक्सीजन बेड पर भर्ती 1900 कोरोना मरीजों में से 96 प्रतिशत ऐसे पेशेंट हैं, जिन्होंने टीका नहीं लिया। वहीं केवल 4 प्रतिशत लोग ही वैक्सीनेटेड है।
इसके अलावा शहर के सभी प्राइवेट अस्पतालों के कोऑर्डिनेटर और बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टर गौतम भंसाली ने कहा कि वैसे तो दोनों तरह के ही मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, जिन्होंने वैक्सीन का टीका लिया है और जिन्होंने नहीं लिया। लेकिन ऑक्सीजन बेड पर अधिकतर वही मरीज हैं जिन्होंने कोरोना टीका नहीं लगवाया। ऐसे मरीजों की उम्र 40-50 साल के बीच या उससे ज्यादा है। इससे पता चलता है कि टीका कितना जरूरी है।