तमिलनाडु विधानसभा चुनाव की वोटिंग से पहले बुधवार रात को एक बड़ी खबर आई। पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की करीबी और AIADMK से निष्कासित नेता शशिकला ने खुद को राजनीति से दूर रखने का फैसला किया। तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले शशिकला ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी।
शशकिला ने लिया राजनीति की संन्यास
एक टाइम ऐसा भी था जब तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता के बाद किसी का नाम आता था, तो वो शशिकला ही थीं। भले ही मुख्यमंत्री जयललिता थीं, लेकिन पर्दे के पीछे हर फैसले में शशिकला शामिल हुआ करती थीं। जनवरी में ही शशिकला जेल से सजा काटकर आई हैं। भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में उनको 4 साल की सजा मिली थीं। शशिकला के जेल से आने के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब राजनीति से संन्यास का फैसला लेकर उन्होनें हर किसी को चौंका दिया।
कुछ यूं हुई थीं जयललिता से मुलाकात
1957 में तमिलनाडु के तंजौर जिले के थिरुथुरईपुंडी में शशिकला का जन्म हुआ था। उनकी शादी एम नटराजन से हुई, जो उस वक्त तमिलनाडु सरकार में जनसंपर्क अधिकारी थे। 1980 के आसपास नटराजन ने दक्षिण अरकट जिले की तत्कालीन कलेक्टर वीएस चंद्रलेखा से अपील की थी कि वो शशिकला की जयललिता से मुलाकात करा दें। उन्होनें कहा था कि शशिकला, जयललिता के कार्यक्रमों की वीडियोग्रॉफी करेगी। इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद जयललिता और शशिकला के बीच की दोस्ती काफी गहरी हो गई।
1991 में जयललिता पहली बार तमिलनाडु की सीएम बनीं, तो अपने अधिकतर हर फैसलों में शशिकला की राय शामिल होती थीं। ये वही समय था जब लोग जयललिता को अम्मा, तो शशिकला को चिनम्मा कहकर बुलाने लगे। इस दौरान वो जयललिता की परछाई बन गई थीं।
जब लगा था धीमा जहर लेने का आरोप
लेकिन धीरे-धीरे उनके रिश्तों में खटास आने लगी। खबरों के मुताबिक 1996 के चुनाव में जयललिता की हार के बाद शशिकला और उनके रिश्तेदारों को घर छोड़ने के लिए कह दिया गया था। हालांकि ये दूरियां ज्यादा दिनों तक टिकीं नहीं। थोड़े समय के बाद शशिकला वापस जयललिता के पास लौट गई। जयललिता और शशिकला के बीच गहरी दोस्ती करीबन तीन दशकों तक रही थीं।
2011 में शशिकला पर ये भी आरोप लगे कि वो जयललिता को धीमा जगह देकर मारने की साजिश रच रही हैं। इसके बाद शशिकला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि ये भी बताया जाता है कि शशिकला ने जयललिता से इसके बाद माफी मांग ली थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
जयललिता की मृत्यु के बाद…
2016 में जयललिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद पार्टी में उथल-पुथल मची। प्रदेश की सियासत में चर्चाएं तेज हुई कि शशिकला को पार्टी की कमान सौप देनी चाहिए और उनको अगला मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने खुद ही शशिकला के नाम को विधायक दल के नेता के तौर पर प्रस्तावित किया। लेकिन इसको लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हुआ। जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने शशिकला को अविश्वसनीय बताया था।
इस दौरान 2017 फरवरी में बेहिसाबी संपत्ति के मामले को लेकर शशिकला और उनके रिश्तेदारों को सजा सुनाई गई। शशिकला पर जयललिता के साथ मिलकर आय से अधिक संपत्ति बनाने के आरोप लगे थे, जिसकी पुष्टि भी हुई। स्पेशल कोर्ट ने 27 सितंबर 2014 में सजा सुनाई।
हाल ही में आई जेल से बाहर
15 फरवरी 2017 को बेंगलुरु ट्रायल कोर्ट में शशिकला ने आत्मसमर्पण किया। उन पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगा। इसके बाद शशिकला को AIADMK की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया गया। अब कुछ दिन पहले ही शशिकला खराब सेहत के चलते जेल की रिहा किया गया।
शशिकला ऐसे वक्त में जेल से बाहर आई जब तमिलनाडु में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा था कि उनके जेल से रिहा होने पर यहां की राजनीति कुछ दिलचस्प मोड़ ले सकती हैं। लेकिन इस बीच उन्होनें खुद को राजनीति से दूर करने का ऐलान कर दिया। शशिकला ने जयललिता को याद करते हुए उन्होंने AIADMK के कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर मेहनत करने और स्टालिन की पार्टी DMK को हराने की अपील की।