चीन से फैले कोरोना वायरस ने दुनियाभर में कोहराम मचाया हुआ है। बीते एक साल से इस वायरस ने लोगों की जिंदगी को अस्त व्यस्त कर दिया। कई देश ऐसे हैं, जो कोरोना की सेकेंड वेव से जूझ रहा है। लेकिन इस वक्त इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत नजर आ रहा है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचाई हुई है। दिल्ली के कई राज्यों में हालात बद से बदतर होते चले जा रहे है।
हालांकि इस वक्त जो सबसे ज्यादा राहत देने वाली बात है, वो यही कि अब देश के पास इस वायरस की वैक्सीन भी उपलब्ध है। देश में कोरोना की दो दो वैक्सीन अभी लोगों को लगाई जा रही है। साथ ही ये कोशिशों भी जारी है कि जल्दी से जल्दी ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जाए। इसी बीच कोरोना वैक्सीनेश की कमी की खबरें भी लगातार सामने आ रही है। इसके अलावा देश में वैक्सीन का बर्बाद होना भी इस वक्त एक बड़ी समस्या बना हुआ है।
बर्बादी में तमिलनाडु टॉप पर
जनवरी से देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक देश में कोरोना वैक्सीन की 44 लाख डोज बर्बाद हो चुकी है और ये आंकड़ा 11 अप्रैल तक का है। सूचना के अधिकार RTI के तहत ये जानकारी मिली है।
जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु वैक्सीन बर्बादी की लिस्ट में टॉप पर है। यहां अब तक सबसे ज्यादा 12.10 फीसदी वैक्सीन की डोज बर्बाद हुई। वहीं इसके बाद हरियाणा का नंबर आता है। हरियाणा में अब तक 9.74 प्रतिशत डोज की बर्बादी हो चुकी है। पंजाब में 8.12%, मणिपुर में 7-.8% और तेलंगाना में 7.55 वैक्सीन वेस्ट हुई।
वहीं खबरों के मुताबिक सबसे कम वैक्सीन बर्बाद कराने वाली जगहों में अंडमान एवं निकोबार, दमन एवं दीव, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, लक्षद्वीप, मिजोरम और पश्चिम बंगाल शामिल है।
क्या होती है वैक्सीन बर्बाद होने की वजह?
सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ये वैक्सीन बर्बाद क्यों हो रही है, जबकि हमारे देश की अभी बड़ी आबादी इससे वंचित है? एक तरफ तो वैक्सीन की शॉर्टेज की खबरें सामने आ रही हैं, तो दूसरी ओर इसके वेस्टेज के आखिर क्या कारण है?
वैक्सीन की एक शीशी में 10 से 20 डोज डोज होती है। शीशी एक बार खुल जाती है, तो सिर्फ 4 घंटों के अंदर ही उसका इस्तेमाल करना जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं होता तो वैक्सीन खराब हो जाती है। ऐसा कई बार होता है जब लोग वैक्सीन सेंटर नहीं पहुंचते, जिसकी वजह से शीशी में मौजूद सभी डोज बर्बाद हो जाती है।
HC ने भी जताई वैक्सीन बर्बादी पर चिंता
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी वैक्सीन के मुद्दे को उठाते हुए इस पर नाराजगी जाहिर की। हाईकोर्ट ने वैक्सीन बर्बादी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक 10 करोड़ वैक्सीन में 44 लाख डोज बर्बाद हुई है। ये कितनी बड़ी बर्बादी है। केंद्र ने अब जाकर 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीनेशन की इजाजत ही, जो अच्छी कदम है। इस वक्त हर व्यक्ति की जान बचाना जरूरी है। ये ऐसा समय है, जब हालातों को देखते हुए इमरजेंसी कदम उठाने की जरूरत है।
इसके अलावा दिल्ली हाइकोर्ट ने वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार को लेकर भी सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी पड़ी, या तो वैक्सीन की कमी हो रही है, या फिर लोग इसे लगवाने आगे नहीं आ रहे है। इसके जवाब में ASG ने कहा कि डॉक्टरों की सलाह है कि हल्के लक्षण होने पर भी वैक्सीन नहीं ले। इसके अलावा कुछ लोगों के डर भी एक वजह है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि आपके पास अगर पर्याप्त वैक्सीन मौजूद है, तो वैक्सीनेशन सबके लिए शुरू करें, जो लेना चाहे। महामारी भेदभाव नहीं करती, ये किसी को भी हो सकती है। कोर्ट ने सवाल करते हुए पूछा कि आखिर जब ये फैसला ले ही लिया गया है कि 18 से ऊपर के लोगों को वैक्सीन मिलेगी, तो 10 दिनों का इंतेजार भी क्यों करना?
इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी, रेमडेसिविर की कालाबाजारी जैसे समेत कई मुद्दे उठाए गए।