इंडियन आर्मी में महिला अधिकारियों के स्थायी कमिशन का मामला अभी चर्चा में बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आर्मी ने महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने के लिए स्पेशल बोर्ड बैठाया था। खबरों की मानें तो कई महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन मिला तो वहीं, काफी महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन नहीं मिला है।
जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है। महिला अधिकारियों का कहना है कि आर्मी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से पालन नहीं किया। इसी बीच 28 महिला अधिकारियों को 12 सितंबर तक आर्मी छोड़ने का आदेश दिया गया है। जिसे लेकर महिला अधिकारियों ने आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल से न्याय की गुहार लगाई है।
20 साल से ज्यादा से काम कर रही ये महिलाएं
खबरों के मुताबिक जिन 28 महिला अधिकारियों ने न्याय की गुहार लगाई है, उनमें से ज्यादातर पिछले 20 साल से ज्यादा समय से काम कर रही हैं। लेकिन उन्हें परमानेंट कमीशन नहीं मिला है। महिला अधिकारियों का कहना है कि उनके रिकार्ड को देखते हुए उन्हें पहले 5 साल की सर्विस के बाद एक्सटेंशन मिला और फिर 10 साल के बाद एक्सटेंशन मिला। उनका कहना है कि अगर वह सर्विस के लिए अनफिट होती तो आज यहां तक नहीं पहुंचती।
बताया जा रहा है कि 100 के करीब महिला अधिकारी हैं जिन्हें परमानेंट कमीशन नहीं दिया गया है। उनमें से 72 का रिजल्ट अलग-अलग आधार पर रोका गया है और 28 महिला अधिकारियों को 12 सितंबर तक आर्मी छोड़ने का वक्त दिया गया है।
महिला अधिकारियों का कहना है कि आम तौर पर आर्मी से कोई रिटायर होने वाला होता है तो उसे इतना टाइम दिया जाता है कि वह आगे के लिए खुद को तैयार कर सके, कोई रीसेटलमेंट कोर्स कर सके ताकि आगे के लिए खुद को तैयार कर सके। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।
424 महिला अधिकारियों को मिला है स्थायी कमीशन
दरअसल, परमानेंट कमीशन के लिए 615 महिला अधिकारियों को कंसीडर किया गया था। उनमें से 424 महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन दे दिया गया है। अन्य कई महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन नहीं मिला और 28 अधिकारियों को आर्मी छोड़ने का निर्देश दिया गया है। जिस पर न्याय के लिए उन्होंने आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया है।
जानें क्या है स्थायी कमीशन?
बताते चले कि सेना और नेवी में महिलाएं पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत काम करती थी और वे स्थायी कमीशन के लिए आवेदन नहीं कर सकती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें बराबरी का दर्जा मिलने की संभावना जताई जा रही थी। अब इसमें भी इस तरह की बातें सामने आ रही है।
परमानेंट/स्थायी कमीशन मिलने के बाद कोई भी अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है और उसके बाद वह पेंशन का हकदार होगा। इसके तहत स्थायी कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर सकेंगी। इसके तहत वे महिला अधिकारी भी स्थायी कमिशन में जा सकती हैं जो अभी शॉर्ट सर्विस कमिशन में काम कर रही हैं।