स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) बीमारी का नाम आपने कभी सुना है? नहीं सुना होगा…ये एक बेहद ही दुलर्भ बीमारी है, जिसका इलाज एक खास इंजेक्शन से ही संभव है। इस बीमारी का इलाज Zolgensma नाम के इंजेक्शन से होता है, जिसे अमेरिका से मंगवाना पड़ता है। इस इंजेक्शन की कीमत जानेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे।
क्राउड फंडिंग से जोड़ करीब 15 करोड़
इंजेक्शन की कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये है और वो भी बिना टैक्स के। इम्पोर्ट ड्यूटी और टैक्स को जोड़ दिया जाए, तो इसकी और बढ़ जाती है। इसी बीमारी से पीड़ित है 5 महीने की एक मासूम-सी बच्ची, जिसका नाम तीरा कामत है। किसी भी आम इंसान के लिए इतना महंगा इंजेक्शन खरीद पाना तो लगभग नाममुकिन सा ही है।
ऐसे में तीरा के माता-पिता मिहिर और प्रियंका ने अपनी बेटी का इलाज कराने के लिए क्राउड फंडिंग की मदद से इतनी बड़ी रकम जुटाने की कोशिश की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसके जरिए करीब 15 करोड़ रुपये तीरा के इलाज के लिए जुटाए जा चुके हैं।
इंजेक्शन से टैक्स किया गया माफ
लेकिन तीरा के माता-पिता को उसके इलाज के लिए सिर्फ 16 करोड़ नहीं जुटाने है, बल्कि उसके लगने वाले टैक्स के पैसे भी इकट्ठे करने थे। इंजेक्शन पर 23% इम्पोर्ट ड्यूटी और 12 फीसदी GST लगता है, जो इलाज के खर्च को 6 करोड़ और बढ़ा देता है। जिसका मतलब है कि विदेश से आने वाले इस इंजेक्शन की कीमत 22 करोड़ हो जाती है।
लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिए गए एक फैसला 5 महीने की मासूम बच्ची तीरा के लिए वरदान साबित हुआ। दरअसल, केंद्र सरकार ने इस इंजेक्शन पर लगने वाले 6 करोड़ रुपये के टैक्स को माफ कर दिया। इस संबंध में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होनें इंजेक्शन पर लगने वाले टैक्स को माफ करने की अपील की थीं। पीएम ने इस अपील को स्वीकार किया और 6 करोड़ रुपये के टैक्स को माफ कर दिया। जिसके बाद मंगलवार को फडणवीस ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर धन्यवाद कहा।
जानिए कितनी गंभीर होती है ये बीमारी?
मुंबई के SRCC चिल्ड्रन हॉस्पिटल में तीरा भर्ती है। अगस्त 2020 में तीरा का जन्म हुआ था। जब वो पैदा हुई, तो सामान्य बच्चों की ही तरह थी। लेकिन दो हफ्ते बाद उसे दूध पीते हुए बैचेनी होने लगी और फिर उसने सांस लेना बंद कर दिया। जिसके बाद पता चला कि तीराक स्पाइनल मस्कुलर एस्ट्रोफिज से पीड़ित है।
जो भी काफी गंभीर होती है, जिसमें व्यक्ति के अंदर वो जीन नहीं होते जिनसे प्रोटीन बनाने की उम्मीद होती है। ये तंत्रिका और मांसपेशियों को मजबूत करने की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है। जिसके चलते खाना निगलने और सांस लेने में काफी परेशान होती है। आगे चलकर हालात और भी खराब हो जाते हैं।
वैसे तो ये बीमारी कई तरह की होती है, लेकिन Type 1 सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। तीरा इसी से पीड़ित हैं। अगर इंजेक्शन नहीं मिलता, तो वो कुछ ही महीनों तक जिंदा रह पाती। लेकिन अब क्राउड फंडिंग द्वारा जुटाए गए पैसों और टैक्स माफ किए जाने के बाद उसके जिंदा रहने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।