10 साल पहले दलितों पर अत्याचार के एक मामले में कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दरअसल, कर्नाटक के कोप्पल जिले की एक अदालत ने वंचित समुदाय की बस्ती में आग लगाने का दोषी (Discrimination and caste violence) पाते हुए 101 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपियों को हाल ही में दोषी ठहराया गया था और कोर्ट ने गुरुवार को सजा सुनाई। राज्य के इतिहास में यह पहला मामला है जब अत्याचार के एक मामले में इतनी बड़ी संख्या में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
सभी आरोपियों के परिवार के सदस्य कोप्पल कोर्ट परिसर में एकत्र हुए थे और पुलिस द्वारा उन्हें जेल ले जाने पर उनकी आंखों में आंसू आ गए। आरोपियों को कोप्पल जिला जेल ले जाया जाएगा और बाद में उन्हें बल्लारी जेल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
101 लोगों को सजा, 98 को उम्रकैद- Discrimination and caste violence
पूर्वाग्रह और जातिगत हिंसा के मामले में जज चंद्रशेखर सी ने 101 लोगों को दोषी पाया। इनमें से तीन को कम कठोर सजा मिली। ऐसा इसलिए क्योंकि वे तीनों एससी-एसटी एक्ट 1989 (SC-ST Act 1989) के दायरे में नहीं आ सकते थे। दरअसल दलित समूह में वे तीनों ही शामिल हैं। वहीं, सरकारी वकील अपर्णा बंडी के अनुसार, इस मामले में 117 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। 29 अगस्त 2014 को पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की थी। इस शिकायत में दलितों पर अत्याचार और उनके घरों को जलाने की जानकारी शामिल थी।
दलित अधिकार समिति ने जताया था अपना विरोध
इस घटना के बाद, तीन महीने तक मारकुंबी गांव में पुलिस की एक टुकड़ी तैनात रही। इस मामले पर कर्नाटक राज्य दलित अधिकार समिति (Karnataka State Dalit Rights Committee) ने अपना विरोध जताया था। इसके बाद कुछ दिनों के लिए गंगावती पुलिस स्टेशन को अपने नियंत्रण में ले लिया गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले की चार्जशीट में सूचीबद्ध 16 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। सभी अपराधियों को बल्लारी में कैद किया गया है और उन पर 5,000 रुपये से 2,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया गया है।
जानें क्या था पूरा मामला- Marakumbi Dalit Caste Atrocity
जाति आधारित हिंसा की यह घटना 28 अगस्त 2014 को गंगावती तालुका के मरकुंबी गांव में हुई थी। आरोपियों ने दलित समुदाय के लोगों के घरों को जला दिया था। संघर्ष तब शुरू हुआ जब दलितों को ढाबों और नाई की दुकानों तक पहुंचने से मना कर दिया गया। आरोपी दलित समुदाय में घुस गए और गांव में छुआछूत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवा दलित लोगों की झोपड़ियों में आग लगा दी। इसके अलावा, आरोपियों ने दलितों पर हमला किया और घरों को तोड़ दिया।
16 आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत
इस घटना के बाद राज्य के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। अभियोजन पक्ष का दावा है कि इस मामले में 117 अभियुक्तों में से 16 की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई।