जब लेखक जावेद ने कार के बोनट पर लिखा था फिल्म शोले का ये मशहूर डायलॉग, दिलचस्प है किस्सा

When writer Javed wrote this famous dialogue of the film Sholay on the bonnet of the car, the story is interesting.
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बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना… ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर… कितने आदमी थे? ….इस सब  डायलॉग को सुनने के बाद आपको पता चल गया होगा कि ये फिल्म शोले के हैं। इस फिल्म के डायलॉग आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। रमेश सिप्पी की 1975 की एक्शन-एडवेंचर फिल्म ‘शोले’ आज भी बॉलीवुड इंडस्ट्री की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती है। यह फिल्म आज भी सदाबहार मानी जाती है क्योंकि इस फिल्म के हर सीन और हर डायलॉग में ताजगी है, जो 70 और 80 के दशक की शानदार फिल्मों की याद दिलाती है। बॉलीवुड में अब इस तरह की फिल्में कम ही देखने को मिलती हैं। इसी वजह से आज भी लोगों का पुरानी फिल्मों से खास जुड़ाव है। इस फिल्म में धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जया बच्चन, अमजद खान और संजीव कुमार जैसे दिग्गज कलाकार थे। इस फिल्म में धर्मेंद्र का टैंक सीन और डायलॉग काफी मशहूर है। हालांकि, शोले की रिलीज के कई साल बाद इसके डायलॉग राइटर जावेद अख्तर ने इस डायलॉग को लिखने के पीछे की कहानी बताई है जो काफी चौंकाने वाली है।

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कार की बोनट पर लिखा था सीन

फिल्म शोले में एक सीन है, जिसमें धर्मेंद्र शराब पीकर पानी की टंकी पर चढ़ जाते हैं और हंगामा मचाते हैं। सीन में वीरू के किरदार में धर्मेंद्र कहते हैं कि अगर उनकी बसंती (हेमा मालिनी) से शादी नहीं की तो वे अपनी जान दे देंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म ‘शोले’ का सबसे सुपरहिट सीन लेखक जावेद अख्तर ने सड़क पर खड़े होकर कार के बोनट पर लिखा था। ये किस्सा खुद जावेद ने एक इंटरव्यू के दौरान शेयर किया था।

जावेद ने शेयर किया किस्सा

कुछ साल पहले एंटरटेनमेंट पाकिस्तान को दिए एक इंटरव्यू के दौरान जावेद अख्तर ने बताया था कि उन्होंने टैंक सीन का डायलॉग जल्दबाजी में लिखा था. और तो और, उन्हें इसे दो बार पढ़ने का मौका भी नहीं मिला। जावेद अख्तर ने बताया, ‘धर्मेंद्र के लिए एक हाईलाइट सीन की जरूरत थी, क्योंकि उनका किरदार बहुत सिंपल लग रहा था। सीन तो लिखा गया, लेकिन डायलॉग नहीं। मैं हर दिन सोचता था, ‘आज मैं संवाद लिखूंगा’ लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ क्योंकि हम हर दिन फिल्म बनाते समय काम करने, हंसने और खाने में व्यस्त रहते थे।’

जावेद अख्तर ने आगे कहा,’मैंने एक सुबह कागज कलम लिया और मैं कार में एयरपोर्ट जा रहा हूं और उसमें लिख रहा हूं। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद भी टंकी पर चढ़ने वाला सीन पूरा नहीं हुआ, और मैंने कार से उतर कर बोनट पर कागज रखा और लिखना शुरू कर दिया। इसी दौरान पीछे से आवाज आई, ‘आप चलिये, बोर्डिंग पास दिखाइए, आपकी फ्लाइट मिस हो जाएगी नहीं तो’। इसके बाद लेखक ने कागज को कार के बोनट पर रखकर ही टंकी वाला सीन लिख डाला।

डायलॉग दुबारा पड़ा तक नहीं

जावेद अख्तर ने कहा, ‘मैंने डायलॉग लिखकर अपने असिस्टेंट को दे दिया, दोबारा पढ़ा भी नहीं, वह सीन कार की बोनट पर पूरा हुआ था। हवाई अड्डे के लिए मेरा रास्ता, और मैं लोगों को मेरी उड़ान छूटने के बारे में चेतावनी देते हुए सुन सकता था, लेकिन मुझे बस काम पूरा करना था, इसलिए मैंने कागज को कार के बोनट पर रख दिया और उसे समाप्त कर दिया और अपने सहायक से इसे सेट करने के लिए कहा।’

इसके बाद जब ये फिल्म रेलीज़ हुई तो धर्मेन्द्र का टंकी वाला सीन काफी फ़ेमस हुआ साथ ही उनका डाइलॉग कूद जाऊंगा, फांद जाऊंगा, मर जाऊंगा भी काफी हिट रहा।

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