Truth behind The Kerala Story – The Kerala Story को लेकर इन दिनों पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. वामपंथी ब्रिगेड पूरे दम खम के साथ इसे फर्जी करार करने की कोशिशों में लगा हुआ है. लेकिन इस फिल्म में स्टोरी न आपकी है और न ही हमारी है बल्कि फ़िल्मकार की है. जिसने रचनात्मक स्वतंत्रता लेते हुए एक कटु सच्चाई पर आधारित सिनेमा बनाया है. तथ्यात्मक आंकड़ों पर विवाद हो सकता है और उस लिहाज से एक धड़ा फ़िल्म को प्रोपेगेंडा भी कह सकता है लेकिन कथित प्रोपोगेंडा में कुछ तो जमीनी सच्चाई है, जिस पर अभी तक खुलकर बात नहीं हुई थी. इस लेख में हम आपको उन तथ्यों से परिचित कराएंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि The Kerala Story की कहानी कहीं से भी फर्जी नहीं है.
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The Kerala Story Trailer में क्या है?
दरअसल, The Kerala Story केरल में हिंदू और ईसाई लड़कियों की कहानी है, जिन्हें पहले लव जिहाद में फंसाया गया और बाद में ISIS आतंकवादी बनने के लिए इराक, सीरिया और अफगानिस्तान भेजा गया. The Kerala Story की ट्रेलर शालिनी उन्नीकृष्णन नाम की एक हिंदू महिला की कहानी से शुरू होती है. ये किरदार अदा शर्मा द्वारा निभाया गया है. शालिनी अपने चार अन्य दोस्तों के साथ रह रही है. ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे अदा की एक दोस्त ISIS में भर्ती होती है और कैसे वह दूसरी लड़कियों को इस्लाम अपनाने के लिए ब्रेनवॉश करती है.
ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे केरल की कुछ हिंदू लड़कियां आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के जाल में फंस जाती हैं, जिसके बाद कथित तौर पर लव ज़िहाद के जरिये मुस्लिम लड़के उनसे शादी करते हैं और वे इस्लाम में कन्वर्ट हो जाती हैं. फिर नर्स बनने के लिए उन्हें विदेश भेज दिया जाता है, जहां वो ISIS के चंगुल में जा फंसती हैं. फिल्म में इस चीज को वैश्विक एजेंडा के तौर पर दिखाया गया है.
यहां समझे पूरी कहानी – Truth behind The Kerala Story
ट्रेलर में पिछले 10 सालों में 32,000 लड़कियों के गायब होने की बात कही गई है और इस संख्या को लेकर भी बवाल मचा हुआ है. हालांकि, वर्ष 2021 में ही सिट्टी मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने कहा था कि केरल से 32.000 लड़कियों के गायब होने के ये आंकड़े उनके नहीं है. वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के साथ अपनी बातचीत के आधार पर केरल में हिंदू और ईसाई लड़कियों के 32,000 जबरन धर्मांतरण की संख्या तक पहुंचे. सेन के अनुसार, ओमन चांडी ने कहा था कि हर साल लगभग 2,800 से 3,200 लड़कियां इस्लाम अपना रही हैं. इस तरह 10 साल में ये संख्या 32,000 तक पहुंच गई.
ध्यान देने योग्य है कि यदि किसी भी जायज या नाजायज वजह से घटनाएं दबी रह जाएं और कालांतर में जब किसी सही या गलत कारणवश उजागर होती है या की जाती है तो विवादों का होना लाजमी है. ऐसे में उस पूरी घटना को ही प्रोपेगेंडा बता दिया जाता है. The Kashmir Files के साथ भी ऐसा ही हुआ था. खूब विरोध हुआ, सवाल खड़े किये गए, और शायद इसी वजह से फिल्म ने संचयी प्रभाव के तहत बेशुमार दौलत कमा ली. पॉइंट यही है कि पहले टीजर और अब ट्रेलर ने ही इतना हाइप क्रिएट कर दिया है कि द केरल स्टोरी (Truth behind The Kerala Story) भी खूब देखी जायेगी. और वही होगा, एक धड़ा खूब आलोचना करेगा, बैन तक की मांग करेगा, वहीं दूसरा धड़ा फिल्म को सर आंखों पर लेगा.
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इन रिपोर्ट्स पर नजर डालिए
हालांकि, ट्रेलर से इतर हम देखें तो केरल से ऐसी कई रिपोर्ट्स पहले भी सामने आ चुकी है और पहले भी ऐसे मामलों को लेकर सवाल उठ चुके हैं. लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर इतने वृहद स्तर पर बातचीत नहीं हुई थी और इस मुद्दे पर अभी तक फिल्म भी नहीं बनी थी. ऐसे में बवाल मचना लाजमी है. एक ओर केरल भारत का सबसे पढ़ा लिखा राज्य है, वहीं दूसरी ओर केरल में धर्म परिवर्तन की घटनाएं, चरमंथियों की उग्रता, राष्ट्रवादियों की हत्याएं जैसी तमाम चीजें आम बात हैं. आतंकी संगठनों में केरल के कट्टरपंथियों की बहुतायत है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इंटरनेट पर मौजूद तमाम रिपोर्ट्स ऐसा दावा करती हैं.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में केरल के 21 लोगों ने इस्लामिक स्टेट जिहादी आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए देश छोड़ दिया था. उनमें से एक छात्रा ने शादी से पहले इस्लाम कबूल किया था. रिपोर्ट में कहा गया कि उसने जब देश छोड़ा तब वह आठ महीने की गर्भवती थी.
Truth behind The Kerala Story – बीबीसी की ही रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया था कि “किसी को भी रिकॉर्ड की पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन हमारा अनुमान है कि 10-15 से अधिक महिलाएं नहीं हैं, जो 2016 से केरल से आईएसआईएस में शामिल होने के लिए धर्मांतरित होने के बाद देश छोड़ कर गई हैं.” हालांकि यहां ये माना गया है कि केरल से लड़कियां गायब हुई हैं.
HC से लेकर पूर्व CM तक उठा चुके हैं सवाल
वामपंथियों के गढ़ केरल में स्थिति बद से बदतर है. आपको बता दें कि पूर्व में एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार केरल के उच्च न्यायालय ने सरकार से ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए कठोर कानून बनाने के लिए कहा था लेकिन केरल की लेफ्ट सरकार पूरे मामले पर ही लेफ्ट में है. पूर्व मुख्यमंत्री चांडी ने भी स्वीकारा था कि तक़रीबन तीन चार सालों में ढाई तीन हजार हिंदू और क्रिस्चियन महिलाओं का धर्म परिवर्तन करा कर निकाह कराया गया था.
वहीं, एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री ने भी राज्य में लोगों के बढ़ते मुस्लिम धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की थी. इसके अलावा उत्तरी केरल की चार लापता महिलाओं के उनके आईएसआईएस आतंकवादी पतियों के मारे जाने के बाद अफगानिस्तान के जेल में होने की सच्चाई पब्लिक डोमेन में लंबे अरसे से है. कुल मिलाकर इन्हीं तथ्यों को समेट कर यह स्टोरी बनाई गई है और यह केरल की जमीनी हकीकत है, जिस पर सभी की नजरें हैं लेकिन इसे रोकने के लिए कदम उठाना हो या फिर कोई एक्शन लेना हो…न राज्य सरकार सामने आती है और न ही केंद्र की ओर से कोई कदम उठाया जाता है.
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