पंजाबी दलित गायक काका की स्ट्रगल स्टोरी आपको रुला देगी, सिर्फ लुक की वजह से झेला था रिजेक्शन

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Struggle story of Punjabi Dalit singer Kaka who faced rejection due to his look
Source: Google

पंजाब में जाति की खाई काफी गहरी है। समाज के एक क्षेत्र के पास आर्थिक संसाधन हैं, जबकि दूसरे के पास कुछ भी नहीं है। जाति के आधार पर अलग-अलग क्षेत्र, गुरुद्वारे, धर्मशालाएं, श्मशान घाट- ये सभी चीजें आज के पंजाब की एक वास्तविकता हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। भारत में दलित लोगों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी पंजाब में है और उनमें से अधिकांश भूमिहीन हैं। पंजाब की आबादी में 32 फीसदी हिस्सेदारी दलितों की है। हालांकि, हाल के 10-12 वर्षों में, पंजाब के एससी क्षेत्र में दलित पहचान पर गर्व बढ़ा है, यही कारण है कि पंजाब में दलित-जाट विवाद भी हुए हैं। पंजाबी सिंगर काका को भी ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ा है। दलित होने के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

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काका का प्रांभिक जीवन

29 साल के काका का जन्म पंजाब के चंदूमाजरा में हुआ था। सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई के बाद बीटेक करने वाले काका के पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। काका को 5वीं क्लास से ही पंजाबी लोकगीत गाने का शौक था। वह अक्सर सिंगिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे। इंजीनियरिंग खत्म करने के बाद काका सिंगिंग में अपना करियर बनाना चाहते थे, लेकिन अपना खुद का गाना लॉन्च करने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी, जो उनके पास नहीं था, इसलिए उन्होंने काम करके और फिर गाना बनाकर पैसे जुटाने की योजना बनाई। जब काका ने पहली बार काम की तलाश शुरू की, तो उनकी शक्ल-सूरत के कारण काफी जगह से रिजेक्ट किया गया। न केवल काका को कई बार नौकरी के लिए मना किया गया, बल्कि कई लोगों का दावा है कि वह एक महिला से प्यार करते थे, लेकिन उनकी शक्ल के कारण उनका रिश्ता कभी आगे नहीं बढ़ा।

पहला गाना रहा फ्लॉप

जब काका ने अपने रोजगार से कुछ पैसे कमाए, तो उन्होंने अपना पहला म्यूजिक सॉन्ग लॉंच किया। यह गाना 2019 के अंत में रिलीज हुआ था। गाने का टाइटल सूरमा था। काका और उनके साथियों द्वारा रचित इस गीत को कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। पहला गाना असफल होने के बाद काका ने फिर से काम करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद, देश में लॉक डाउन लग गया, इसलिए काका अपना काम छोड़कर घर लौट आया। घर पर, वह खुद को अपने कमरे में बंद कर लेते थे और हारमोनियम बजाते थे और गाने लिखते थे।

‘कह लेन दे’ से मिली थी पहचान

काका को असली पहचान 2020 में रिलीज हुए पंजाबी गाने ‘कह लेन दे’ से मिली थी। इस गाने में पंजाबी इंडस्ट्री के जाने पहचाने स्टार इंद्र चहल भी नजर आए थे। यह गाना भारत के हर नौजवान की जुबां पर चढ़ गया था, यूट्यूब, ऑडियो से लेकर इंस्टा स्टेट्स तक ‘कह लेन दे’ खूब लोकप्रिय हुआ। इसके बाद से काका रातों रात पंजाबी इंडस्ट्री के स्टार बन गए। यहां तक कि काका अपने गानों से पंजाबी इंडस्ट्री के जाने पहचाने स्टार बब्बू मान और उस समय के हिट कलाकार दिवंगत सिंगर सिद्धू मूसेवाले को कड़ी टक्कर देने लगे।

संघर्ष के समय में काका ने अपने गाने कई म्यूजिक कंपनियों तक पहुंचाए लेकिन उन्हें हर जगह से रिजेक्शन का सामना करना पड़ा, लेकिन आज जब वह स्टार बन गए हैं तो कई बड़ी म्यूजिक कंपनियां उनके साथ काम करना चाहती हैं लेकिन अब उन्होंने उनका ऑफर ठुकरा दिया ।

काका ने इंस्टाग्राम के जरिए अपने फैन्स से इस रिजेक्शन के बारे में चर्चा भी की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें उनके आइडिया के लिए रिजेक्ट किया गया, उनकी आवाज को लेकर रिजेक्ट किया गया, कई नौकरियों से रिजेक्ट किया गया, उनके चेहरे को लेकर रिजेक्ट किया गया, उनकी राइटिंग को लेकर रिजेक्ट किया गया। प्रोजेक्ट खारिज कर दिए गए, गाने खारिज कर दिए गए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

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