Srividya Vasantha Kumari filmography: हम जिन अभिनेत्री की चर्चा कर रहे हैं, वे अपनी खूबसूरती और अद्वितीय अभिनय के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रतिभा और संघर्ष ने उन्हें न केवल फिल्म उद्योग में बल्कि दर्शकों के दिलों में भी एक खास जगह दिलाई। कई नामचीन अभिनेता उनके साथ जोड़ी बनाने की ख्वाहिश रखते थे, लेकिन उनकी कहानी सिर्फ सफलता तक सीमित नहीं थी। जीवन की कई कठिनाइयों से जूझते हुए उन्होंने अपनी पहचान बनाई, और आज उनकी यात्रा हमें प्रेरणा देती है। तो आखिरकार यह अभिनेत्री कौन हैं और उनके जीवन के अनकहे पहलू क्या हैं?
श्रीविद्या का प्रारंभिक जीवन और संघर्ष- Srividya Vasantha Kumari filmography
श्रीविद्या वसंता कुमारी, जो प्रसिद्ध हास्य अभिनेता कृष्णमूर्ति और कर्नाटकी गायिका एम.एल. के बेटी हैं, ने अपने करियर की शुरुआत बहुत ही कठिनाई भरे दौर में की। श्रीविद्या का जन्म एक ऐसा समय था जब उनके पिता कृष्णमूर्ति एक दुर्घटना में घायल हो गए थे, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। इस घटना ने उनके परिवार की स्थिति को न केवल आर्थिक रूप से प्रभावित किया, बल्कि उनकी मां एम.एल. को परिवार की सारी जिम्मेदारियां उठानी पड़ीं। इस कठिन समय में, श्रीविद्या ने 14 साल की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।
फिल्मी करियर की शुरुआत और सफलता की ओर पहला कदम
श्रीविद्या ने अभिनेता शिवाजी गणेशन के साथ फिल्म ‘थिरुवरुचेलवन’ से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। इसके बाद, उन्होंने तेलुगु फिल्म उद्योग में ‘पेट्टाराशी पेट्टाम्मा’ से अपने करियर की शुरुआत की। अपनी अविश्वसनीय अभिनय क्षमता, डांस कौशल और आकर्षक सुंदरता के कारण उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से लगातार ऑफर मिलने लगे। इस दौरान उन्हें कई नामी निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला, जिनमें से एक थे निर्देशक दसारी नारायणन, जिनके साथ उन्होंने कई फिल्में कीं।
विविध भाषाओं में अभिनय का सफर
श्रीविद्या ने अपनी अभिनय यात्रा को एक से अधिक भाषाओं में फैलाया। उन्होंने तमिल सिनेमा में भी नाम कमाया और निर्देशक के. बालाचंदर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘अपूर्व रागंगल’ में रजनीकांत और कमल हासन के साथ अभिनय किया। यह फिल्म न केवल तमिल सिनेमा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि बाद में इसे तेलुगू में भी दोबारा बनाया गया। श्रीविद्या ने तमिल और तेलुगु दोनों भाषाओं में प्रमुख भूमिका निभाई और 800 से ज्यादा फिल्मों में अपनी अभिनय कला का लोहा मनवाया।
स्वास्थ्य संकट और जीवन में बदलाव
हालांकि फिल्मी दुनिया में एक के बाद एक सफलता प्राप्त करने के बाद, श्रीविद्या को 2003 में स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी जीवन प्रत्याशा पर सवाल उठने लगे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और तीन वर्षों तक इस बीमारी से जूझती रही।
दान और परोपकार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
श्रीविद्या ने अभिनय से अर्जित की गई संपत्ति को एक महान उद्देश्य में दान करने का फैसला किया। उन्होंने संगीत और नृत्य महाविद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति देने की पेशकश की। अभिनेता गणेश की मदद से उन्होंने एक फाउंडेशन की स्थापना की, जिसके माध्यम से योग्य छात्रों तक सहायता पहुंचाई गई। उनके इस प्रयास ने समाज में एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाला।
अंतिम समय और विरासत
2006 में, कैंसर से जूझने के बाद, 53 वर्ष की आयु में इस महान अभिनेत्री का निधन हो गया। हालांकि उनका शरीर हमारे बीच नहीं है, लेकिन उन्होंने जो योगदान दिया, वह आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। श्रीविद्या का जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि जीवन चाहे जैसे भी मुश्किल हो, अगर हमारी नीयत सही हो, तो हम किसी भी परिस्थिति में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।