दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह की जोड़ी बॉलीवुड में परफेक्ट शादीशुदा जिंदगी की कैटेगरी में आती है। उनकी शादी को 40 साल से ज्यादा हो गए हैं लेकिन फिर भी वे दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं और दोनों एक दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं। अलग-अलग फॅमिली बैकग्राउंड और अलग-अलग धर्मों से होने के चलते उनकी शादी में काफी दिक्कतें आईं, जिसके बारे में ऐक्ट्रिस रत्ना पाठक ने अपने हालिया इंटरव्यू में बताया है। इस इंटरव्यू में उन्होंने धर्म बदलने को लेकर भी बात की है।
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परिवार को पसंद नहीं थे नसीरुद्दीन शाह- रत्ना
नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह ने साल 1982 में शादी की थी। हाउटरफ्लाई को दिए इंटरव्यू में रत्ना शाह पाठक ने शादी में आई परेशानियों के बारे में बात की और बताया कि पहले उनका परिवार इस शादी को स्वीकार नहीं कर रहा था, जबकि नसीरुद्दीन के परिवार ने उन्हें तुरंत अपने परिवार का हिस्सा मान लिया था। जब एक्ट्रेस से पूछा गया कि क्या उनके परिवार को नसीरुद्दीन शाह से उनकी शादी पर कोई आपत्ति थी? इस पर एक्ट्रेस ने कहा, ‘मेरे पिता पूरी तरह से खुश नहीं थे, लेकिन दुर्भाग्य से हमारी शादी से पहले ही उनका निधन हो गया। मां और नसीर के बीच रिश्ते काफी खराब थे, लेकिन उन्होंने भी समय रहते सुलह कर ली और आखिरकार दोनों दोस्त बन गए।’
नसीरुद्दीन के परिवार ने नहीं किया हंगामा, ना ही कन्वर्ट का किया जिक्र
67 वर्षीय रत्ना ने आगे कहा, ‘हैरानी की बात यह है कि नसीर के परिवार ने बिल्कुल भी हंगामा नहीं किया। एक बार भी किसी ने ‘सी’ शब्द, धर्म परिवर्तन का जिक्र नहीं किया। किसी ने मेरे बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने मुझे वैसे ही स्वीकार किया जैसी मैं हूं। मैं बहुत भाग्यशाली हूं क्योंकि मैंने ऐसे लोगों के बारे में सुना है जिन्हें घर बसाने में परेशानी होती है। उसके बाद, मैं उन सभी से दोस्त बन गई, जिनमें मेरी सास भी शामिल थीं, जो बहुत ही घरेलू इंसान थीं लेकिन हर स्थिति में बहुत दयालु थीं।’
शादी की सक्सेस के पीछे का राज
अभिनेत्री ने शादी की सफलता के पीछे के रहस्य के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, “बस एक-दूसरे की बात सुनो यार। वास्तव में एक-दूसरे से बात करो। मैं अपने संघर्षों से ज़्यादा उनका और उनके संघर्षों का सम्मान करती हूँ, क्योंकि मुझे यह सब बहुत आसानी से मिला। नसीरुद्दीन एक बहुत ही पारंपरिक, खास तरह की बैकग्राउन्ड से आते हैं।”
वह आगे कहती हैं, ‘नसीर ने हमारे रिश्ते की शुरुआत में मुझसे कहा था कि किसी भी रिश्ते को कभी भी पति, पत्नी, प्रेमी, गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड के तौर पर लेबल नहीं करना चाहिए। अगर आप खुद को इंसानों के स्तर पर रख सकते हैं, संवाद कर सकते हैं, तो लेबल क्यों लगाएं। इससे मदद मिलती है और सौभाग्य से हम अपने बच्चों के साथ भी ऐसा ही कर पाए।’