Raj Kapoor’s 100th Birthday: भारतीय सिनेमा के इतिहास में अगर किसी दौर को स्वर्णिम कहा जाए तो वह 50 और 60 का दशक है। यह वह दौर था जब हिंदी फिल्मों पर तीन सितारों का जादू छाया हुआ था- देव आनंद (Dev Anand), दिलीप कुमार और राज कपूर। ये तीनों न सिर्फ अपनी कला के शिखर पर थे, बल्कि इनके बीच अनकही दोस्ती, प्रतिस्पर्धा और आपसी सम्मान की कहानी भी थी।
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100 साल का सफर- Raj Kapoor’s 100th Birthday
2022 में दिलीप कुमार की 100वीं जयंती है। 2023 में देव आनंद की जन्म शताब्दी है और अब दिसंबर 2024 में राज कपूर की 100वीं जयंती है। इन तीनों ने 1940 के दशक में अपने करियर की शुरुआत की और अपनी अनूठी शैली से हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
अलग-अलग अंदाज, एक ही दौर
इन तीनों के दौर में सिनेमा पर समान रूप से राज था, लेकिन उनकी शख्सियत और अभिनय शैली एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी।
- देवानंद को हिंदी सिनेमा का पहला शहरी नायक कहा जाता है। उनकी फिल्में और उनके स्टाइलिश अंदाज ने उन्हें हर युवा का रोल मॉडल बना दिया।
- दिलीप कुमार को ट्रेजेडी किंग के नाम से जाना गया। उनकी फिल्मों में दर्द और भावनाओं की गहराई दिखती थी, लेकिन उन्होंने ‘कोहिनूर’ जैसी हल्की-फुल्की फिल्में भी कीं।
- राज कपूर अपने चार्ली चैपलिन जैसे किरदारों और सीधे-सादे, आम आदमी की छवि के लिए प्रसिद्ध थे। वह हिंदी सिनेमा को ग्लोबल पहचान दिलाने वाले पहले अभिनेता-निर्देशक बने।
ऋषि कपूर की किताब का दिलचस्प किस्सा
ऋषि कपूर ने अपनी किताब ‘खुल्लम खुल्ला’ में 1999 का एक किस्सा साझा किया, जब वह अपनी मां के कहने पर दिलीप कुमार और देवानंद को अपने भाई राजीव कपूर की शादी का कार्ड देने गए थे।
ऋषि लिखते हैं, “यूसुफ साब (दिलीप कुमार) का घर तहजीब और किस्सों से भरा था, वहीं देव साब का कमरा हॉलीवुड की किताबों और उनके रंगीन अंदाज से। दोनों की शख्सियत में जमीन-आसमान का फर्क था, लेकिन दोनों का अंदाज बेहद प्रभावशाली था।”
प्रतियोगिता में भी दोस्ती
इन तीनों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन इसके बावजूद एक अनोखी दोस्ती भी थी। फिल्म ‘इंसानियत’ वह अकेली फिल्म थी, जिसमें देवानंद और दिलीप कुमार साथ नजर आए। वहीं, दिलीप कुमार को राज कपूर की ‘संगम’ में काम करने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हालांकि, राज कपूर और देवानंद ने ‘श्रीमानजी’ में कैमियो किया, लेकिन दोनों का कोई साझा सीन नहीं था।
दिलीप कुमार की शादी का इंतजार
राज कपूर (Raj Kapoor Dilip Kumar Freindship), दिलीप कुमार और देवानंद की दोस्ती के कई किस्से हैं। जैसी कि दिलीप कुमार के निकाह के वक्त राज कपूर ने अपने वादे के मुताबिक घुटनों के बल उनके घर जाकर मुबारकबाद दी। दरअसल जहां राज कपूर और देव आनंद अपनी-अपनी शादियां कर चुके थे, वहीं उनके तीसरे दोस्त दिलीप कुमार अभी कुंवारे थे। दोनों दोस्तों के लिए यह एक मजाक और जिज्ञासा का विषय था कि आखिर दिलीप कुमार कब शादी करेंगे।
राज कपूर का अनोखा वादा
इस क्रेज का नतीजा था कि राज कपूर ने दिलीप कुमार की बहन से एक बेहद खास वादा किया। उन्होंने कहा कि दिलीप कुमार की शादी में वह चाहे जहां भी हों, वहां जरूर पहुंचेंगे। लेकिन इससे भी ज्यादा मजेदार उनका दूसरा वादा था। उन्होंने कहा, “दिलीप कुमार की शादी में मैं घुटनों के बल नाचूंगा।”
वादा निभाने की कहानी
जब आखिरकार दिलीप कुमार का निकाह हुआ, तो राज कपूर ने अपना वादा निभाया। वह शादी में पहुंचे और सचमुच घुटनों के बल नाचकर अपनी खुशी जाहिर की। यह नजारा वहां मौजूद सभी लोगों के लिए यादगार बन गया।
तीनों दोस्तों की बेमिसाल दोस्ती
इस किस्से से सिर्फ राज कपूर की मजाकिया और जिंदादिल शख्सियत का पता नहीं चलता, बल्कि तीनों दोस्तों के बीच गहरी दोस्ती और सम्मान की झलक भी मिलती है। दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद ने न सिर्फ भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि अपनी दोस्ती से भी कई पीढ़ियों को प्रेरित किया।
वहीं, जब राज कपूर अपनी आखिरी सांसें ले रहे थे, दिलीप कुमार उनसे मिलने पहुंचे और पुरानी यादों को ताजा किया। उन्होंने राज से कहा, “हम फिर से पेशावर की गलियों में जाएंगे और चपली कबाब खाएंगे।” लेकिन वह आखिरी मुलाकात थी।
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