Raghuvaran Filmography: जब भी हम किसी खलनायक की छवि के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में एक डरावना चेहरा, डरावनी आंखें और भारी-भरकम डायलॉग्स की छवि उभरती है। लेकिन 80 और 90 के दशक में एक ऐसा अभिनेता आया जिसने बिना चिल्लाए अपनी गहरी और दमदार आवाज से खलनायकी की परिभाषा ही बदल दी। वो अभिनेता थे रघुवरन, जिन्होंने अपने करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और साउथ के साथ-साथ हिंदी सिनेमा पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी।
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शुरुआती जीवन और करियर की शुरुआत- Raghuvaran Filmography
रघुवरन (Who is Raghuvaran) का जन्म 11 दिसंबर 1958 को केरल में हुआ था। उन्होंने 1982 में तमिल फिल्म ‘यरुवधन मनिथन’ से अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म को समीक्षकों से सराहना मिली और इसे नेशनल अवॉर्ड भी मिला। हालांकि, यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग पॉइंट नहीं बन पाई।
रघुवरन के करियर में बदलाव तब आया, जब उन्होंने 1983 में साउथ फिल्म ‘सिल्क-सिल्क-सिल्क’ में पहली बार नेगेटिव किरदार निभाया। उनके अभिनय ने दर्शकों को प्रभावित किया और इसके बाद उन्हें ज्यादातर खलनायक के रोल मिलने लगे।
200 से अधिक फिल्मों का सफर
अपने करियर में रघुवरन ने हिंदी और साउथ सिनेमा को मिलाकर 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने अपने अभिनय से सिनेमा प्रेमियों के दिलों में एक अलग जगह बनाई। उनके संवाद आज भी दर्शकों के जेहन में बसे हुए हैं, जैसे:
- “पैसों में बहुत गर्मी होती है, उसे बर्दाश्त करना सीखो वरना जल जाओगे।”
- “जो बिकता नहीं, वो मेरे सामने टिकता नहीं।”
सिल्क स्मिता के साथ मिली सफलता
रघुवरन की पहली हिट फिल्म ‘सिल्क-सिल्क-सिल्क’ थी, जिसमें उन्होंने नेगेटिव रोल निभाया। यह फिल्म उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद उन्होंने नागार्जुन, ममूटी, मोहनलाल, और कमल हासन जैसे दिग्गज सितारों के साथ काम किया।
90 के दशक तक रघुवरन साउथ सिनेमा में सबसे लोकप्रिय विलेन बन चुके थे। उनकी अनोखी शैली और गहरी आवाज ने उन्हें दर्शकों के बीच खास पहचान दिलाई।
रजनीकांत के लिए ‘लकी चार्म’
रघुवरन और रजनीकांत (Rajinikanth) की जोड़ी साउथ सिनेमा में बेहद हिट साबित हुई। दोनों ने ‘शिवाजी: द बॉस,’ ‘बाशा,’ ‘अरुणाचलम,’ और ‘राजा चिन्ना रोजा’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में साथ काम किया।
कहा जाता है कि रजनीकांत ने प्रोड्यूसर्स के सामने शर्त रखी थी कि उनकी फिल्मों में विलेन के रोल के लिए केवल रघुवरन को ही कास्ट किया जाए। यह जोड़ी इतनी हिट थी कि मेकर्स ने रजनीकांत की इस शर्त को खुशी-खुशी स्वीकार किया।
हिंदी सिनेमा में एंट्री
साउथ सिनेमा में अपनी पहचान बनाने के बाद रघुवरन ने बॉलीवुड की ओर रुख किया।
- उन्होंने 1990 में दिलीप कुमार के साथ फिल्म ‘इज्जतदार’ में काम किया।
- इसके बाद उन्होंने ‘शिवा,’ ‘रक्षक,’ ‘हिटलर,’ ‘लाल बादशाह,’ और ‘ग्रहण’ जैसी फिल्मों में अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया।
- उन्होंने हिंदी और साउथ सिनेमा दोनों में दमदार विलेन के रूप में पहचान बनाई।
विलेन के किरदार में विविधता
रघुवरन की खासियत यह थी कि उन्होंने खलनायक के किरदार को एक नई ऊंचाई दी। अपनी गहरी आवाज और संवाद अदायगी से वे दर्शकों को डराने में कामयाब रहे। उनकी खलनायक भूमिकाएं खतरनाक होने के साथ-साथ स्टाइलिश भी थीं, जिससे दर्शक प्रभावित हुए।
शराब की लत बनी मौत का कारण
रघुवरन का करियर अपने शिखर पर था, लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी संघर्षपूर्ण थी। शराब की लत ने उनके स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया। 19 मार्च 2008 को 39 साल की उम्र में उनके दोनों अंगों ने काम करना बंद कर दिया और उनका निधन हो गया। उनकी असामयिक मृत्यु से सिनेमा जगत में गहरा शोक छा गया।
उनकी विरासत
रघुवरन ने साउथ और हिंदी सिनेमा में खलनायकी को नया आयाम दिया। वे एकमात्र ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने हिंदी और साउथ की सभी भाषाओं में काम किया। उनकी फिल्में और डायलॉग आज भी याद किए जाते हैं।