Pataudi Family Property Dispute: भोपाल के नवाब मंसूर अली खान पटौदी और उनके परिवार की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर कानूनी विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस संपत्ति पर 2015 से लगी रोक हटा दी है, जिसके चलते अब सरकार इसे ‘शत्रु संपत्ति’ के तौर पर अपने कब्जे में ले सकती है। सैफ अली खान और शर्मिला टैगोर समेत नवाब खानदान के वंशज इस संपत्ति पर अपना दावा ठोक रहे हैं।
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क्या है ‘शत्रु संपत्ति’ का मामला? (Pataudi Family Property Dispute)
‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’ के तहत, भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए व्यक्तियों की भारत में छोड़ी गई संपत्ति पर केंद्र सरकार का अधिकार होता है। भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गई थीं, जिससे उनकी संपत्ति को ‘शत्रु संपत्ति’ माना गया। 2015 में केंद्र सरकार ने भोपाल की कई संपत्तियों को सरकारी घोषित कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था।
हाई कोर्ट का फैसला और आगे की प्रक्रिया
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले में नवाब परिवार को 30 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। समय सीमा समाप्त होने के बाद, हाई कोर्ट ने स्टे हटा दिया। इसके साथ ही, सरकार ने संपत्ति का सर्वे शुरू करने और इसे कब्जे में लेने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि इन संपत्तियों के पिछले 72 वर्षों के रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। साथ ही, जिला प्रशासन संपत्ति पर हुए अवैध निर्माणों और कब्जों का भी आकलन करेगा।
नवाब की संपत्तियां और उनका महत्व
भोपाल नवाब परिवार की संपत्तियां बेहद कीमती और ऐतिहासिक महत्व की हैं। इनमें हरियाणा का पटौदी पैलेस, भोपाल का नूर-उस-सबाह होटल, फ्लैग स्टाफ हाउस, दार-उस-सलाम, अहमदाबाद पैलेस, कोहेफिजा प्रॉपर्टी, और कई अन्य भवन व जमीनें शामिल हैं। इन संपत्तियों में से कई बिक चुकी हैं और कई पर अवैध कब्जे हो चुके हैं।
संपत्तियों पर अवैध कब्जे की चुनौती
सरकारी सर्वे के अनुसार, नवाब की इन संपत्तियों में से करीब 80% पहले ही बेची जा चुकी हैं, और लगभग 100 एकड़ जमीन पर डेढ़ लाख लोग रह रहे हैं। इनमें नूर-उस-सबाह होटल और अहमदाबाद पैलेस जैसी प्रमुख संपत्तियां भी शामिल हैं। इन संपत्तियों पर सरकार का कब्जा करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
नवाब परिवार का दावा और विकल्प
नवाब परिवार के वंशज, जिनमें सैफ अली खान और शर्मिला टैगोर शामिल हैं, इस संपत्ति पर अपना दावा कर रहे हैं। परिवार के पास अब केवल एक ही विकल्प बचा है—हाई कोर्ट के आदेश को डिविजन बेंच में चुनौती देना।
अतीत में संपत्तियों का विवाद
2013 में भोपाल प्रशासन ने ‘शत्रु व निष्कांत संपत्ति कार्यालय’ को 24 संपत्तियों की सूची भेजी थी। 2015 में इनमें से 16 संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित किया गया। हालांकि, बाद में कई संपत्तियों के रिकॉर्ड गायब हो गए। प्रशासन के अनुसार, ‘नानी की हवेली’ के अलावा, कोई भी संपत्ति सीधे आबिदा सुल्तान के नाम पर दर्ज नहीं है।
क्या है ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’?
1968 में बनाए गए ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’ के तहत, विभाजन के बाद पाकिस्तान या चीन चले गए व्यक्तियों की भारत में छोड़ी गई संपत्तियों को सरकार ‘शत्रु संपत्ति’ के रूप में जब्त कर सकती है।
भोपाल नवाब की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर सरकार का कब्जा एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है। हालांकि, संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जे और पहले ही बेची जा चुकी संपत्तियों को लेकर प्रशासन को कई कानूनी और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।